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राष्ट्रीयता और इक्कीसवीं सदी का भारत : ज्ञान-विज्ञान, साहित्य एवं संस्कृति के सरोकार पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

 स्वाधीनता दिवस के पूर्व दिवस पर हुआ कृष्ण बसंती रिसर्च एवं लिटरेचर अवॉर्ड समारोह 

आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत राष्ट्रभक्ति और संस्कृतिपरक कविताओं का पाठ हुआ राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में 

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, अक्षरवार्ता अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका और कृष्ण बसंती शैक्षणिक एवं सामाजिक जनकल्याण समिति के संयुक्त तत्वावधान में आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी, कृष्ण बसंती रिसर्च एवं लिटरेचर अवॉर्ड 2020 तथा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी राष्ट्रीयता और इक्कीसवीं सदी का भारत : ज्ञान-विज्ञान, साहित्य एवं संस्कृति के सरोकार पर केंद्रित थी। आयोजन की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने की। मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति प्रो रामराजेश मिश्र, सारस्वत अतिथि प्रो. सीजी विजय कुमार मेनन कुलपति, महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन थे। विशिष्ट अतिथि डॉ. विकास दवे निदेशक, म.प्र. साहित्य अकादमी, भोपाल, डॉ. प्रशांत पुराणिक, कुलसचिव विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, पंडित योगेन्द्र महंत, पूर्व राज्यमंत्री (दर्जा प्राप्त) एवं वरिष्ठ समाजसेवी श्री हेमराज राठौर, राज थे। विषय प्रवर्तन कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने किया। 

आयोजन में पूर्व कुलपति प्रो रामराजेश मिश्र को अक्षरवार्ता शिखर सारस्वत सम्मान से अलंकृत किया गया। अतिथियों ने लब्धप्रतिष्ठित कवि साहित्यकार पंडित अशोक नागर लिखित उपन्यास कर्म कुण्डली एवं अक्षरवार्ता पत्रिका के विशेषांक का विमोचन किया। विशेषांक का विमोचन संपादक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा एवं डॉ मोहन बैरागी ने करवाया।

अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। इस आज़ादी को पाने के लिए हज़ारों भारतीयों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिये। अपनी आज़ादी को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए कितने प्रयास किये और इन पचहत्तर वर्षो में हम दुनिया के सामने बहुत बड़े मुकाम पर पहुंचे हैं। आज के दौर में नई पीढ़ी को श्रेष्ठ साहित्य से जोड़ने की आवश्यकता है। राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी का सर्वस्वीकार्य हो, इसके लिए व्यापक प्रयास जरूरी है। हिंदी के माध्यम से उच्च स्तरीय शोध प्रकाशन होना चाहिए। इस दिशा में अक्षरवार्ता द्वारा महत्त्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है। 

पूर्व कुलपति प्रो रामराजेश मिश्र ने कहा कि स्वतंत्रता सम्पूर्ण चेतना है, जिसका सम्बन्ध भारतीय चिंतन परम्परा से है। भारतभूमि में वाणी की स्वतंत्रता सदियों से रही है। प्राचीन समय से भारत की श्रेष्ठ वाणी को नष्ट करने की कोशिशें की गईं, किंतु वह आज भी जीवित है। 

 

कुलपति प्रो सीजी विजयकुमार मेनन ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के दौरान भारतीय भाषाओं को लेकर नव चिंतन और उत्साह जागृत हो रहा है। 

डॉ विकास दवे, भोपाल ने कहा कि भारत की गौरवशाली परंपरा को लेकर साहित्यकार और संस्कृतिकर्मियों को निरंतर सजग बने रहना है। भारत की आत्मा धर्म है। अनेक सदियों से हमारा देश विश्व को शांति का संदेश दे रहा है। विज्ञान से जुड़े अनेक सूत्र उपनिषदों में विद्यमान हैं।

कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि भारत की स्वाधीनता का अर्थ किसी भी अन्य सभ्यता और संस्कृति की स्वतंत्रता से भिन्न है। यह सम्पूर्ण विश्व को नव चेतना और नवीन ज्ञान देने वाली भूमि सदियों से है। इक्कीसवीं सदी में भारत को आगे ले जाने के लिए राष्ट्रीय चेतना का प्रसार सभी क्षेत्रों में आवश्यक है। ज्ञान, विज्ञान, संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में भारत ने सदियों से विश्व सभ्यता को महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसकी पहचान के साथ व्यापक फलक पर प्रसारित करने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम में पंडित योगेंद्र महंत, इंदौर एवं हेमराज भाटी राज ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

देश के विभिन्न राज्यों से आए प्राध्यापकों, शोधकर्ताओं और साहित्यकारों को शोध एवं साहित्य एक्सीलेंस अवार्ड 2022 से अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। इनमें डॉ. हिमांशु यादव, डॉ रविकांत कुमार, डॉ रजनीकांत कुमार, डॉ. के. के. मल्होत्रा, डॉ. अलका चतुर्वेदी, साधना मिश्रा, डॉ. सुरजमुखी, आगरा, डॉ. नीलम देवी, डॉ. प्रीति कुमारी, डॉ. यल कोमुरा रेड्डी, डॉ. आशुतोष कुमार, युगेश द्विवेदी, डॉ. आशुतोष कुमार आदि सम्मिलित थे। 

अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी की अध्यक्षता पूर्व कुलपति प्रो रामराजेश मिश्र एवं कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक ने की। विशिष्ट अतिथि डॉ सूरजमुखी, आगरा एवं डॉ रमण सोलंकी थे। तकनीकी सत्र में अनेक शोधकर्ताओं ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया।

कार्यक्रम में कविवर श्री दिनेश दिग्गज, श्री अशोक नागर, श्री सन्तोष सुपेकर, श्री हिमांशु बवंडर, श्री सतीश सागर, श्री राजेश रावल, श्री राजेन्द्र जैन, श्री राहुल शर्मा, सुश्री निशा पंडित, डॉ रफीक नागौरी, डॉ अजय शर्मा को अतिथियों द्वारा सारस्वत सम्मान से अलंकृत किया गया। उन्होंने कवि सम्मेलन में अपनी प्रतिनिधि कविताएं सुनाईं। कवि सम्मेलन का संचालन कवि एवं गीतकार डॉक्टर मोहन बैरागी ने किया।

आयोजन रविवार, दिनांक 14 अगस्त को प्रातः 10.30 बजे से देर संध्या तक  अभिरंग नाट्यगृह, कालिदास संस्कृत अकादेमी, उज्जैन में सम्पन्न हुआ। इस संगोष्ठी में देश-विदेश के अनेक विद्वज्जनों ने भाग लिया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. मोहन बैरागी अध्यक्ष, कृष्ण वसंती शैक्षणिक (पंजी.) उज्जैन ने किया। आभार प्रदर्शन श्री ओ पी वैष्णव ने किया। अतिथियों का स्वागत डॉ मोहन बैरागी, डॉ ओ पी वैष्णव, डॉ सुदामा सखवार, डॉ मयूरी जैन आदि ने किया।

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