Skip to main content

मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री मंगुभाई पटेल जी के उपलब्धिपूर्ण कार्यकाल के एक वर्ष पूर्ण होने पर विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा पौधरोपण का आयोजन सम्पन्न

दुर्लभ प्रजाति एवं औषधीय महत्त्व के 111 से अधिक पौधों का रोपण किया गया 8 जुलाई को विक्रम विश्वविद्यालय परिसर में


मध्य प्रदेश के महामहिम राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री मंगुभाई पटेल जी के उपलब्धिपूर्ण कार्यकाल का एक वर्ष दिनांक 8 जुलाई 2022 को पूर्ण हुआ है। इस महत्त्वपूर्ण अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा दुर्लभ प्रजाति के और औषधीय महत्त्व के पौधों के रोपण का कार्यक्रम आयोजित किया गया। पौधरोपण और उनका संरक्षण - संवर्धन भारतीय संस्कृति में जगत कल्याण, पुण्य और पवित्रता की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण माना गया है। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा मध्य प्रदेश के महामहिम राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री मंगुभाई पटेल जी के कार्यकाल का एक वर्ष पूर्व होने के शुभावसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति अखिलेश कुमार पाण्डेय के निर्देशन में विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा वृक्षमित्र संस्था उज्जैन, वन विभाग एवं रासेयो के सहयोग से दुर्लभ प्रजाति के एवं औषधीय पौधों का पौधरोपण दिनांक 8 जुलाई 2022 को प्रातः 9 बजे राजा भोज स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, देवास रोड उज्जैन एवं तत्पश्चात शालिग्राम तोमर नवीन बालक छात्रावास परिसर में किया गया।


वृक्षारोपण कार्यक्रम में प्रभारी कुलपति प्रोफेसर एचपी सिंह, कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा, आइक्यूएसी चेयरमैन प्रो पीके वर्मा, प्रोफेसर डीएम कुमावत, डॉ गणपत अहिरवार, वृक्ष मित्र सेवा समिति के श्री अजय भातखंडे, वन विभाग के श्री के के पँवार आदि सहित अनेक लोगों ने पौधरोपण किया। पौधारोपण कार्यक्रम में संकटापन्न प्रजाति के पौधे जैसे काला शीशम, अधकपारी, सोनपाठा, बीजा, शल्यकर्णी, कर्कट आदि तथा औषधीय महत्त्व के पौधों जैसे बेल, नीम, आँवला, अमलतास, अर्जुन, कचनार, अशोक, कदम्ब आदि सहित 111 से अधिक पौधों का रोपण किया गया।

कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि महामहिम राज्यपाल जी प्रकृति एवं पर्यावरण प्रेमी मनीषी हैं। उनके द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में समय-समय पर पौधरोपण करते हुए पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन का अनुकरणीय सन्देश दिया जाता है।

कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ अरविन्द शुक्ल, डॉ शिवि भसीन, डॉ अजय शर्मा एवं डॉ अंजलि उपाध्याय थे। कार्यक्रम में उप कुलसचिव डॉ डी. के. बग्गा, डॉ शैलेन्द्र भारल, डॉ धर्मेंद्र मेहता, डॉ अनिल कुमार जैन, डॉ कमलेश दशोरा, डॉ संग्राम भूषण, डॉ निश्चल यादव, डॉ कनिया मेड़ा, डॉ वीरेंद्र चावरे, डॉ राज बोरिया, डॉ संतोष ठाकुर, डॉ सुशील शर्मा, इंजी राजेश चौहान, डॉ अजय शर्मा, डॉ ब्रह्मदत्त शुक्ला, डॉ राकेश पंड्या, वृक्षमित्र संस्था के श्री अजय भातखण्डे, श्री प्रवीण साठे, श्री आशुतोष पंडित, श्री सुदर्शन कौर, श्री विजय जोशी आदि सहित सैकड़ों की संख्या में शिक्षक, अधिकारी, गणमान्य नागरिक, कर्मचारी एवं विद्यार्थीगण सहभागी बने।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...