Skip to main content

प्राकृतिक संतुलन के लिए पौधरोपण आवश्यक - कुलपति प्रो पांडेय

विक्रम विश्वविद्यालय के अकादमिक परिसर में पौधरोपण जारी

उज्जैन ।  विक्रम विश्वविद्यालय के अकादमिक परिसर में पौधरोपण कार्यक्रम पिछले डेढ़ वर्ष से लगातार जारी है। आज विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने प्राकृतिक संतुलन हेतु अधिक से अधिक पौधरोपण कराये जाने के लिए विभिन्न अध्ययनशालाओं के विभागाध्यक्षों को निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा को बनाये रखने के लिए, तथा वातावरण में उपस्थित हानिकारक प्रदूषणकारी तत्वों को समाप्त करने के लिए पौधरोपण आवश्यक है। आज दिनांक 14 जुलाई 2022 को विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति ने विभिन्न अध्ययनशालाओं जैसे प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी, वनस्पति शास्त्र एवं पर्यावरण अध्ययनशाला, रसायन विज्ञान अध्ययनशाला, भू विज्ञान अध्ययनशाला , भौतिकी विज्ञान अध्ययनशाला, माइक्रोबायोलॉजी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला तथा गणित अध्ययनशाला का सांयकाल में पैदल भ्रमण करते हुए वहाँ पर पौधरोपण की वर्त्तमान जानकारी तथा भविष्य में इन संस्थाओँ में पौधारोपण की आवश्यकता हेतु जन अभियान परिषद् के पदाधिकारियों के साथ गहन निरीक्षण करते हुए विचार- विमर्श किया। इस दौरान कुलपति जी ने सायंकालीन भ्रमण करने वाले नागरिकों से स्वास्थ्य के लिए पौधारोपण की आवश्यकता पर विचार-विमर्श करते हुए पौधारोपण एवं उसके संरक्षण की अपील की। विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा इस संस्था के साथ मिलकर जल्द ही पौधरोपण कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा। यह जानकारी विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने देते हुए बताया कि पौधरोपण विक्रम विश्वविद्यालय की प्राथमिकता है और विश्वविद्यालय का प्रयास है कि वह अधिक से अधिक पौधरोपण करते हुए जैवविविधता का संरक्षण कर सके एवं वातावरण को प्रदूषित होने से बचा सके।

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर प्रशांत पुराणिक ने बताया कि अभी तक विक्रम विश्वविद्यालय ने विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर 5000 से अधिक पौधों का पौधारोपण किया है तथा ऐसे कार्यक्रम निरंतर चलाये जाएँगे। कुलपति जी के भ्रमण दल में जन अभियान परिषद् संस्था के सदस्यगण, डॉ डी. डी. बैदिया, डॉ संदीप तिवारी, डॉ अरविन्द शुक्ल, डॉ शिवि भसीन एवं डॉ प्रदीप पोरवाल आदि उपस्थित थे।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं