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अंतरराष्ट्रीय भाषाओं की लिपि बनने के योग्य है देवनागरी लिपि - प्रो.शर्मा

सर्वदेशीय लिपि देवनागरी उपलब्धियाँ और संभावनाएं पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

नागरी लिपि परिषद् , नईदिल्ली एवं राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसका विषय सर्वदेशीय लिपि देवनागरी : उपलब्धियाँ और संभावनाएँ था। इसमें मुख्य वक्ता के रूप में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने अपना मंतव्य देते हुए कहा कि राष्ट्र लिपि की अवधारणा को देवनागरी लिपि संवहन करती है। यह लिपि समन्वय के साथ समावेश, सामर्थ्य और सार्वदेशीयता लिए हुए है। सिंधु घाटी की लिपि से लेकर ब्राह्मी लिपि और देवनागरी लिपि विश्व सभ्यता को भारत की अविस्मरणीय देन हैं। वर्तमान में दुनिया में तीन हजार से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं, जबकि लिपियां चार सौ हैं। देवनागरी लिपि इस देश की अनेक भाषा और बोलियों की स्वाभाविक लिपि बनी हुई है। दुनिया में प्रचलित अन्य लिपियों से देवनागरी की तुलना करने पर स्पष्ट हो जाता है कि यह लिपि सबसे विलक्षण ही नहीं, पूर्णता के निकट है। लिपि के आविष्कारकों की आकांक्षा रही है कि किसी भी भाषा की विभिन्न ध्वनियों के साथ अक्षरों का सुमेल हो। उसमें कोई त्रुटि न हो इस दृष्टि से देवनागरी लिपि अधिक वैज्ञानिक और युक्तिसंगत है। देवनागरी में ध्वनियों के उच्चारण और लेखन के बीच एकरूपता है। यह सर्वांगीण लिपि है।

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के राष्ट्रीय संयोजक एवं नागरी लिपि परिषद्, नई दिल्ली के कार्यकारी अध्यक्ष, डॉ.शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख , पुणे ने कहा कि सोशल मीडिया सब पर हावी है। छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सब उसमें अटके हुए हैं। वर्तमान में एक स्तर पर हिंदी की देवनागरी लिपि का स्थान रोमन लिपि ले रही है। इसलिए इसका प्रभाव भविष्य में देवनागरी लिपि पर प्रश्नचिन्ह उपस्थित कर सकता है। इस पर संकट ना आए इसके लिए हमें जागृत रहना पड़ेगा।

नागरी लिपि परिषद्, नई दिल्ली के महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल ने कहा कि जीवन शैली के विस्तार के लिए नगरी लिपि सीखना आवश्यक है। आगे कहा कि गृह मंत्री जी ने बताया कि पूर्वोत्तर भाषा की नौ भाषाओं में देवनागरी लिपि लिखी जा रही है। मेडागास्कर में हिंदी को सिखाने का प्रयास किया जा रहा है। न्यूयॉर्क में भी अनन्या नाम से पत्रिका शुरू की है, जो कि भारत सरकार के सान्निध्य में छपेगी। विश्व नागरी विज्ञान संस्थान भी 4 जुलाई 2022 से नागरी लिपि परिषद् से जुड़ जाएगा।

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के अध्यक्ष , पूर्व शिक्षा अधिकारी , श्री बी .के. शर्मा ने कहा कि अक्षर को ब्रह्म कहा गया है। तंत्र शास्त्र और अध्यात्म में भी अक्षर और देवनागरी अंकों का बहुत महत्व है। नागरी के अंकों की जगह आजकल अंतरराष्ट्रीय अंकों का प्रयोग हो रहा है । हमें देवनागरी के अंकों के प्रयोग के लिए लोगों को जागरूक करना होगा। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की कार्यकारी अध्यक्ष, श्रीमती सुवर्णा जाधव, पुणे ने कहा कि महत्वपूर्ण किताबें देवनागरी लिपि में भी होनी चाहिए, जिससे पढ़ने में आसानी होगी। नागरी लिपि परिषद् की तमिलनाडु प्रभारी डॉ. राजलक्ष्मी कृष्नण, चेन्नई ने कहा कि भारतीय संस्कृति की रीढ़ की हड्डी है देवनागरी लिपि। तमिल, मलयालम, तेलुगू, कन्नड को देवनागरी लिपि में लिखेंगे तो हम सभी के लिए इन भाषाओं को सीखना सरल और सुलभ हो जाएगा। भारत सरकार के सूचना प्रकोष्ठ के सलाहकार श्री हरिराम पंसारी ने कहा कि - देवनागरी लिपि के प्राचीन काल के रूप को अपनाकर समस्याओें को हल करने की कोशिश की जा रही है। भविष्य में सारे संसार में देवनागरी लिपि का प्रयोग होगा।

हिंदी वार्ता के पत्रकार श्री सत्य प्रकाश ने कहा कि नागरी लिपि में 120 बोलियां और भाषाएं लिखी जाती हैं। नासा ने कहा है कि, संस्कृत में अरबों शब्द हो सकते हैं। हमारे पास इतनी समृद्ध भाषा और लिपि है तो, रोमन लिपि की ओर जाना उचित नहीं है। डॉ.पूनम माटिया नई दिल्ली ने कहा कि आज सिनेमा के संवाद रोमन लिपि में लिखे जा रहे हैं। जबकि हिंदी भाषा को देवनागरी लिपि में ही लिखा जाना चाहिए। डॉ. रश्मि चौबे, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना महिला इकाई, मुख्य महासचिव , ने कहा कि नागरी लिपि इसकी विशेषताओं के कारण सार्वदेशिक लिपि है। दुनिया के छह व्यक्तियों में से एक व्यक्ति भारतीय है। आज आवश्यकता है, तो सिर्फ इस लिपि पर गर्व करने की और युवाओं और बच्चों को रोमनीकरण से बचाने की। कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीमती रोहिणी डाबरे, अहमदनगर की सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत भाषण संस्थान के महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी जी ने , प्रस्तावना डॉ. रश्मि चौबे गाजियाबाद ने प्रस्तुत की । कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ. रश्मि चौबे गाजियाबाद ने किया । कार्यक्रम में भाषा लिपि विशेषज्ञ, डॉ. शंकर सिंह परिहार , श्री हीरा ठाकुर , श्रीमती पुष्पा गोरोठिया, श्रीमती सरस्वती वर्मा, श्री पंकज , श्री मधु भवानी , श्रीमती दीपिका सितोदिया आदि अन्य अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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