भारत का स्वाधीनता संग्राम विश्व के अब तक के सबसे महान और गौरवशाली संघर्षों में से एक - प्रो. सी. सी. त्रिपाठी
भोपाल। एनआईटीटीटीआर भोपाल में आज़ादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत देश के प्रमुख हिन्दी साहित्यकारों का संक्षिप्त जीवन परिचय का तस्वीरों के साथ अनवारण किया गया । इस अवसर पर निदेशक प्रो. सी. सी. त्रिपाठी ने कहा की स्वतंत्रता के इस महायज्ञ में कवियों, साहित्यकारों और लेखकों का महत्वपूर्ण योगदान हे उन्होंने आम जनता में राष्ट्रप्रेम की भावना जगाने तथा उन्हें स्वाधीनता आन्दोलन का हिस्सा बनने हेतु प्रेरित किया । माखनलाल चतुर्वेदी की श्रेष्ठ कविता 'मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ पर तुम देना फेंक, मैथिलीशरण गुप्त की कविता 'हे मातृभूमि', दुष्यंत कुमार की गजल 'हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए, प्रेमचंद की रंगभूमि, कर्मभूमि उपन्यास हो या भारतेंदु हरिश्चंद्र का भारत दर्शन या जयशंकर प्रसाद का चन्द्रगुप्त- सभी देश प्रेम की भावना से भरी पड़ी हैं । रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी कविता से देशप्रेम की ऐसी अलख जगाई कि लोग घरों से बाहर निकल आये और स्वतंत्रता आन्दोलन में हिस्सा लिया । प्रो. सी. सी. त्रिपाठी ने 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' का महत्व बताते हुए कहा की भारत का स्वाधीनता संग्राम विश्व के अब तक के सबसे महान और गौरवशाली संघर्षों में से एक रहा है । इस बार मौका इसलिए भी खास है, क्योंकि आजादी के 75 वें वर्ष को देश अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है । यह महोत्सव क्रांतिकारियों, स्वतंत्रता सेनानियों, देशभक्तों की स्वाधीनता का ऐसा अमृत है जो हमें देश के प्रति समर्पित रहने की प्रेरणा देता है । हमारे देश के प्रधानमंत्री ने 2021 में इसकी शुरुआत साबरमती आश्रम से की थी, महात्मा गांधी ने इस क्षेत्र से आजादी की लड़ाई का संचालन किया था ।
कार्यक्रम के संयोजक एवं जनसम्पर्क अधिकारी प्रो. पी. के. पुरोहित ने इस अवसर पर कवि मोहम्मद इकबाल के शब्दों में कहा की “कुछ बात है कि हस्ती मिटती नही हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहाँ हमारा" इन साहित्यकारों में मुंशी प्रेमचंद, रामधारी सिंह दिनकर, महादेवी वर्मा, बालकृष्ण शर्मा 'नवीन, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', पंडित गोदावरीश मिश्र, पंडित माखनलाल चतुर्वेदी, गजानन माधव मुक्तिबोध', सुभद्रा कुमारी चौहान, हरिशंकर परसाई, शरद जोशी, भवानीप्रसाद मिश्र, शिवमंगल सिंह 'सुमन, दुष्यंत कुमार, रबीन्द्रनाथ टैगोर, महाकवि सुब्रमण्य भारती, तिरुवल्लुवर, बंकिमचंद चटर्जी, भारतेंदु हरिश्चंद्र, सुमित्रानंदन पन्त, जयशंकर प्रसाद, मैथिलीशरण गुप्त आदि हैं इस अवसर पर संसथान के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।
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