Skip to main content

विद्यार्थियों की समस्याओं का शीघ्र निराकरण हो - कुलपति प्रो पांडेय

 कुलपति के शुभाशीष से विद्यार्थी को मिली डिग्री 

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की बड़ी संख्या में निर्वाचन में ड्यूटी होने के कारण विद्यार्थियों को अपनी समस्याओं के निराकरण में विलम्ब होता है। विद्यार्थियों की समस्याओं के त्वरित निराकरण हेतु कुलपति ने सक्षम अधिकारियों को निर्देशित किया है। ऐसी ही एक समस्या का स्वयं कुलपति जी द्वारा निराकरण करते हुए डिग्री सेक्शन पहुँचकर छात्र को डिग्री दिलवाई। इस छात्र का चयन फ्लाइंग ऑफिसर पद पर इंडियन एयर फोर्स में हुआ है। अतः उसको निर्धारित समय में डिग्री प्रस्तुत करना आवश्यक था।

विक्रम विश्वविद्यालय के अधिकांश कर्मचारियों की निर्वाचन कार्य में ड्यूटी होने के कारण विद्यार्थियों के कार्यों में विलम्ब होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, परन्तु कुछ कार्य अतिमहत्वपूर्ण  होते हैं। जिन्हें निर्धारित समयावधि में पूर्ण किया जाना आवश्यक होता है। ऐसा ही एक उदाहरण गुरु पूर्णिमा के दिन सामने आया। उज्जैन से लगभग 234 किलोमीटर दूरी तय करते हुए मनासा का एक छात्र रविकान्त चौधरी अपनी बी. ए. की डिग्री प्राप्त करने हेतु प्रयासरत थे। उनका चयन फ्लाइंग आफीसर पद पर इंडियन एयर फोर्स में हुआ है। उन्हें निर्धारित समय सीमा पर यह डिग्री इंडियन एयर फोर्स में प्रस्तुत करना आवश्यक है। छात्र द्वारा डिग्री प्राप्त करने की निर्धारित प्रक्रिया पूर्ण कर डिग्री विभाग से संम्पर्क किया गया परन्तु कर्मचारियों की निर्वाचन में ड्यूटी होने के कारण कार्य में विलम्ब हो रहा था। परिणामस्वरूप छात्र को उज्जैन की दूसरी बार यात्रा करनी पड़ती। छात्र महाकालेश्वर दर्शन के समय अपनी परेशानी की चर्चा अपने मित्र से कर रहा था, उसी समय एक नागरिक ने छात्र को कुलपति जी से मिलकर समस्या के निराकरण हेतु सलाह दी। छात्र फिर से विश्वविद्यालय आया और शाम 4 बजे कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय से सम्पर्क किया। कुलपति जी ने स्वयं छात्र के साथ डिग्री विभाग पहुँचकर विभाग के कर्मचारियों के सहयोग से डिग्री बनवाई तथा छात्र को डिग्री प्रदान करते हुए फ़्लाइंग आफीसर पद पर ज्वाइन करने हेतु अग्रिम बधाई दी। विद्यार्थियों की ऐसी अनेक समस्याओं का त्वरित निराकरण हेतु कुलपति जी सदैव प्रयासरत रहते हैं। कुलपति जी की इस अनुकंपा का छात्र रविकांत चौधरी आभारी है। उसका कहना है कि मैं विश्वविद्यालय के कुलपति जी के सरल व्यक्तित्व से प्रभावित हूँ तथा उनकी सहायता के कारण मैं अपनी डिग्री प्राप्त कर इंडियन एयर फोर्स में प्रस्तुत कर सकूंगा।

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रशांत पुराणिक ने बताया कि विद्यार्थियों की समस्याओं का समय पर निराकरण किया जाना विश्वविद्यालय की प्राथमिकता में है। इसके लिये उन्होंने संबंधित विभागों एवं अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।  

विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा का कहना है कि विद्यार्थियों की समस्याओं के समाधान हेतु विश्वविद्यालय सदैव तैयार रहता है। इस हेतु कुलपति जी ने सक्षम अधिकारियों को विद्यार्थियों की सहायता हेतु निर्देशित किया है। विद्यार्थीगण द्वारा उपाधि से संबंधित कार्य के लिये श्री चेनराम पंवार, सहा. कुलसचिव, स्कॉलरशिप/फैलोशिप से संबंधित कार्य के लिये सुश्री नसरीन कौसर, सहा. कुलसचिव, अंकसूची से संबंधित कार्य के लिये सुश्री वीणा गुप्ता, सहा. कुलसचिव एवं गोपनीय विभाग एवं रिजल्ट से संबंधित कार्य के लिये प्रो. एम.एल. गोखरू, परीक्षा नियंत्रक तथा श्री वीरेन्द्र उचवारे, सहा. कुलसचिव से संपर्क किया जा सकता है।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं