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संस्कृत के साथ आधुनिक विषयों से भी जुड़े बटुकगण - कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय

वैदिक ज्ञान और संस्कृत की महत्ता पर हुआ विशिष्ट परिसंवाद 

अखिल भारतीय शिक्षा समागम में देश के माननीय प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के माननीय कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय  का वाराणसी में तीन दिन का दौरा रहा। इस दौरान तीसरे दिन काशी की अकादमिक संस्था और  देव-तीर्थों के  दर्शन किए। वाराणसी की योग विशिष्ट संस्था आसनेन रुजो हन्ति योगसंस्थानम् के संस्थापक रितेश दुबे के नेतृत्व में श्री स्वामी वेदान्ती वेद विद्यापीठ में परिसंवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह विशिष्ट परिसंवाद वैदिक ज्ञान और संस्कृत की महत्ता पर केंद्रित था। मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय का आतिथ्य पूर्वक विद्यालय के वेद स्वाध्याय में निरत रहने वाले बटुकों ने चारों वेदों के विभिन्न मंत्रोच्चारण से कुलपति प्रो पांडेय को मन्त्रमुग्ध किया। कार्यक्रम के संयोजक आचार्य श्री सुनील पाण्डेय ने वैदिक वाङ्मय के विभिन्न पहलुओं पर परिचर्चा करते हुए वेद वेदांग में निष्पन्नता प्राप्त कर रहे बटुकों से परिचय कराया।

विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के यशश्वी कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय जी ने अपने उद्बोधन के दौरान वेद के ज्ञान को प्राप्त कर रहे बालकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज़ की नयी पीढ़ी को यदि संस्कृत एवं संस्कृति से जोड़ना है तो कम्प्यूटर एवं आधुनिक विषयों पर हमें भी अपना ज्ञान गहन करना होगा। साथ ही आज़ आधुनिक परिप्रेक्ष्य में संस्कृत एवं सनातन संस्कृति का रुझान कहीं न कहीं पूर्व की अपेक्षा अधिक हुआ दृष्टिगोचर होता है। एतदर्थ आधुनिक विषयों के निष्णातों को संस्कृत से अनुप्राणित होना चाहिए एवं संस्कृत के विद्वानों को आधुनिक विषयों पर अवश्य अपनी मजबूत पकड़ बनानी चाहिए। सम्बोधन के अंत में उन्होंने दो उदाहरण दिए जो वैदिक विज्ञान में छिपे रहस्यात्मक एवं विज्ञान के परे उस वैदिक ज्ञान की प्राधान्यता की परिमापिका साबित हुए। हमारे महर्षियों ने कई वर्षों पूर्व ही इलेक्ट्रॉनिक, जहाज एवं विभिन्न रहस्यमय विषयों का उद्भावन किया था, परन्तु अंग्रेजों की कूटनीति एवं सनातन के चक्रावर्तन क्रम में इन सभी विद्याओं का ह्रास होता गया। विश्व गुरु भारत हमेशा से सम्पूर्ण विश्व का मार्गदर्शन करता रहा है तो केवल और केवल अपने सांस्कृतिक एवं विज्ञान परिपूर्ण वैदिक ज्ञान के कारण। आज पुनः वह समय धीरे-धीरे वापस आ रहा है।

 वेद विद्यालय के प्रबन्धक ने पुष्प- माला एवं अंग वस्त्र के द्वारा कुलपति जी एवं योगाचार्य रितेश दुबे का सम्मान किया।

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