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व्यक्तियों को धन संचयकर्ता नहीं बल्कि धन सृजनकर्ता होना चाहिए - श्री शर्मा

वाणिज्य अध्ययनशाला में बचत एवं निवेश पर कार्यशाला संपन्न

उज्जैन। वाणिज्य अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय एवं एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित निवेशक जागरूकता कार्यशाला का शुभारंभ श्री एन. एस. वेंकटेश, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, ए.एम. एफ. आई. के मुख्य आतिथ्य एवं विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय की अध्यक्षता में किया गया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में कुलसचिव डॉ. प्रशांत पुराणिक उपस्थित थे।

प्रारंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथियों का स्वागत डॉ. एस. के. मिश्रा, डॉ आशीष मेहता, डॉ नागेश पाराशर, डॉ. नेहा माथुर, डॉ. कायनात तंवर एवं डॉ परिमिता सिंह ने किया। स्वागत भाषण एवं अतिथि परिचय विभागाध्यक्ष डॉ. एस. के. मिश्रा ने व्यक्त किया।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए ख्याति प्राप्त वित्तीय सलाहकार ए. एम. एफ़. आई. सूर्यकांत शर्मा, ने व्यक्तियों की वित्तीय सुरक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक निवेशक को समृद्धि  से पहले वित्तीय सुरक्षा का इंतज़ाम करना चाहिए तथा पर्याप्त जीवन बीमा, उचित चिकित्सा बीमा कवर और एक आपातकालीन निधि को सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने  नियमित बचत और प्रति वर्ष बचत में न्यूनतम 10% की वृद्धि के लिए जोरदार दलील दी। साथ ही उन्होंने समृद्धि के लिए धन सृजन की आवश्यकता के बारे में विस्तार से बताया और इस बात पर जोर दिया कि निवेशकों को धन संचयकर्ता नहीं बल्कि धन सृजनकर्ता होना चाहिए। उन्होंने निवेशकों को सलाह दी कि उन्हें वास्तविक रिटर्न पर ध्यान देना चाहिए न कि आभासी रिटर्न पर, क्योंकि मुद्रास्फीति और कर देयता काफी हद तक रिटर्न का बड़ा हिस्सा ले लेती है। इसके बाद उन्होंने बाजार में उपलब्ध विभिन्न निवेश के तरीकों के बारे में बुनियादी जानकारी साझा की। सरकारी/आरबीआई बांड, कॉरपोरेट बॉन्ड, सरकारी योजनाएं,  डाकघर योजनाएं, पीपीएफ, एनपीएस, सुकन्या समृद्धि योजना, अचल संपत्ति, सोना और प्रतिभूति बाजार आदि । ये सभी निवेश अलग अलग हैं और सबकी अपनी अलग-अलग विशेषताएं हैं और निवेशकों को अपनी जोखिम लेने की  क्षमता, निवेश समयानिधि को देख कर ही भिन्न-भिन्न निवेश योजनाओं में निवेश करना चाहिए। श्री शर्मा ने बताया कि, सामान्य निवेशक के लिए प्रतिभूति बाजार में सीधे निवेश की बजाय, म्युचुअल फंड बेहतर विकल्प है जिसमें हर तरह के निवेशक के लिए म्यूचूअल फंड में योजनाएं उपलब्ध है। सामान्य निवेशक लम्बी अवधि में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के माध्यम से न्यूनतम 500/- रुपये की राशि का निवेश कर एक अच्छा कोष बना सकता है जिससे अपनी पारिवारिक जिम्मदारियों को अच्छी तरह से पूरी कर सकता हैं उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि म्यूचुअल फंड में इक्विटी फंड से लेकर डेट फंड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड तक म्यूचुअल फंड योजनाओं का एक विस्तृत स्पेक्ट्रम है, जिसमें से एक निवेशक अपने जोखिम और निवेश क्षितिज के अनुसार योजना चुन सकता है। अंत में, उन्होंने प्रतिभागियों को प्रभावी तरीके से आगाह किया कि वे एजेंटों सहित दूसरों की सलाह पर अपनी मेहनत की कमाई का निवेश न करें और कभी  भी अनधिकृत फंड जुटाने की योजनाओं जैसे - पोंजी योजना, चिट फंड और समितियों आदि में निवेश न करें जो शुरुआत में उच्च और त्वरित रिटर्न का आश्वासन देते हैं लेकिन अंततः निवेशकों की मेहनत की कमाई के साथ गायब हो जाते हैं।

कार्यशाला के मुख्य अतिथि श्री एन एस वेंकटेश ने उद्देश्य अनुसार निवेश करने और वित्तीय नियोजन के महत्व को विस्तार से समझाया। आपने लम्बी समयावधि  के निवेश और निवेश में चक्रवृद्धि के नियम को अपनाने पर अत्यधिक जोर दिया। आपने कहा कि हम सभी कि यह सामाजिक जिम्मेदारी है कि हम निवेशकों को ऐसी निवेश योजनाओं के खतरे के बारे में जागरूक करें।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडे ने कहा कि जिस प्रकार बचत एवं निवेश हमारे जीवन का अनिवार्य अंग है उसी प्रकार जिस संस्था में नौकरी कर हम बचत निवेश के लिए सक्षम हुए है उसके प्रति पूर्ण ईमानदारी एवं वफादारी होना अत्यंत आवश्यक है।

इस अवसर पर अतिथियों का शॉल, श्रीफल एवं मोमेंटो प्रदान कर स्वागत किया गया। वाणिज्य विषय में विशेष योगदान के लिए डॉ केशव मणी शर्मा का विशिष्ट अभिनंदन किया गया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ अनुभा गुप्ता ने किया तथा आभार डॉ. शैलेंद्र भारल ने व्यक्त किया।


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