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"बायोलॉजी से बायोटेक्नोलॉजी" विषय पर विशिष्ट व्याख्यान हुआ

विक्रम विश्वविद्यालय की प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में विशिष्ट व्याख्यान सम्पन्न 


उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय की प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में दिनांक 10 जून 2022 को प्रातः 12 बजे विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया है, जिसमें हैदराबाद की उस्मानिया विश्वविद्यालय के प्राध्यापक प्रो सी. मनोहराचारी ने छात्रों को "बायोलॉजी से बायोटेक्नोलॉजी" विषय पर व्याख्यान दिया।          

   

प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला द्वारा दिनांक 10 जून 2022 को विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविद्यालय के प्रो सी. मनोहराचारी द्वारा छात्रों को "बायोलॉजी से बायोटेक्नोलॉजी" विषय पर विशिष्ट व्याख्यान दिया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पाण्डेय ने की। उन्होंने बताया कि प्रो मनोजचारी वर्त्तमान में नेशनल साइंस अकादमी में वरिष्ट वैज्ञानिक के रूप में पदस्थ हैं। पूर्व में यह ओरिएण्टल विश्वविद्यालय इंदौर के कुलपति रह चुके हैं।

मुख्य अतिथि प्रो मनोहराचारी ने अपने वक्तव्य में बताया कि किस प्रकार से बायोलॉजी पर तकनीक का उपयोग करने से बायोटेक्नोलॉजी का जन्म हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि बायोलॉजी का सम्बन्ध जीवन से है और किस प्रकार से जीन्स, डी. एन. ए. एवं सेल का अध्ययन दूसरे महत्वपूर्ण आविष्कारों का जनक है। आपने अपने व्याख्यान में इस बात पर बल दिया कि सभी प्राणियों का जन्म एक ही पूर्वज से हुआ है और सभी प्राणियों का एक ही जीन पूल है। उन्होंने अपने वक्तव्य में यह भी बताया कि सेल, डी. एन. ए. एवं जीन के गहन अध्ययन से कई महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में पता लगाया जा सकता है।  प्रो सी मनोहराचारी ने अपने वक्तव्य में 80,000 खाने योग्य पौधों की प्रजातियों के बारे में जानकारी दी। साथ ही यह भी बताया कि आने वाले समय में ताप बढ़ने के कारण उन्हें प्रभावित होने से कैसे रोका जा सकता है।  

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया की प्रो मनोजचारी एक जाने माने कवक वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने लगभग 650 शोध पत्र लिखे हैं और 50 से अधिक छात्रों को पीएच. डी. शोध उपाधि के लिए मार्गदर्शन किया है। उन्होंने कवक के 50 से अधिक जेनरा  बताये हैं एवं 82 नई स्पेसीज की पहचान की है। उन्होंने अपने वक्तव्य में ऐसे 7 महत्वपूर्ण कवकों के बारे में बताया, जो कि रोग उत्पन्न करने वाले कीटों का नाश कर सकते हैं, साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि विश्व में 180 से अधिक एंटीबायोटिक की जानकारी है जो कि विभिन्न रोगों को दूर करने के लिए इस्तेमाल होती है। कार्यक्रम का सञ्चालन विभाग की शिक्षक डॉ गरिमा शर्मा ने किया एवं आभार डॉ सलिल सिंह द्वारा माना गया। कार्यक्रम में विभाग के सभी शिक्षक एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे।

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