आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति एक आदर्श जीवन शैली के साथ स्वास्थ्य संरक्षण के लिये अब एक महत्वपूर्ण साधन बन चुकी है। इसी के चलते धन्वन्तरि चिकित्सालय में अपने शिशुओं को स्वस्थ रखने और बीमारियों से बचाने के लिये माता-पिता ने अपने बच्चों को स्वर्णप्राशन कराया ।
स्वर्णप्राशन कार्यक्रम प्रभारी अधिकारी एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. वेद प्रकाश व्यास एवं डॉ. गीता जाटव ने विस्तार से बताते हुये कहा कि शासन के निर्देशानुसार अब भविष्य में भी स्वर्णप्राशन कार्यक्रम हर माह होगा।
आयुर्वेद विशेषज्ञों की देखरेख में स्वर्णप्रापन कराने से शारीरिक एवं मानसिक विकास होकर बच्चे बार-बार बिमार नहीं होते और प्रायः स्वस्थ रहते है, हजारो वर्ष पहले ऋषि महर्षियों ने बच्चों को स्वर्ण भस्म के साथ अन्य औषधियों को मिश्रित कर शहद और घी के साथ प्रयोग करने का विधान बताया है। आयुर्वेद पर धीरे-धीरे आम जनता का विश्वास बढ़ रहा है। इसी कारण इस प्रकार की योजनाओं को जनहित में प्रचारित-प्रसारित किया जा रहा है।
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