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विक्रम विश्वविद्यालय में जैव- विविधता संरक्षण विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न

प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला की गतिविधियाँ प्रशंसनीय, सभी अध्ययनशालाएं इनका अनुसरण करें – कुलपति प्रो पांडेय

उज्जैन । प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए प्रकृति में उपस्थिति समस्त जैव संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता से विद्यार्थियों को परिचित करने के उद्देश्य से जीव विज्ञान संकाय, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा 23-24 मई 2022 को प्राणिकी एवं जैव- प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में वैज्ञानिक कार्यक्रमों तथा राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। वैज्ञानिक क्विज एवं ओरल प्रेजेंटेशन में प्रथम एवं द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को पुरुस्कृत किया गया।

मानव जीवन में जैवविविधता का बड़ा महत्त्व है, इस पृथ्वी पर सभी जीवन को स्थिर बनाये रखने में जैवविविधता एक अहम भूमिका निभाती है। यह परिस्थिति प्राणियों के संतुलन को बनाये रखती है। लोगों को जैवविविधता के प्रति जागरूक करने के लिए प्रत्येक वर्ष 22 मई को जैवविविधता दिवस मनाया जाता है। विश्व के बाहर चिह्नित मेगा बायोडायवर्सिटी केंद्रों में भारत एक है। जैवविविधता का संरक्षण और उसके उपयोग आदि से विद्यार्थियों को परिचित कराया जाना आवश्यक है। जैवविविधता के महत्त्व को देखते हुए जीवविज्ञान संकाय, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा दिनांक 23-24 मई 2022 को प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में वैज्ञानिक कार्यक्रम तथा संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षीय  उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि  जैवविविधता सभी जीवित प्राणियों के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है तथा भविष्य के लिए इनका संरक्षण किया जाना आवश्यक है। इसके लिए विद्यार्थीगण सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। सभी विद्यार्थी कम से कम एक पौधे का रोपण करते हुए उसका संरक्षण करे। कुलपति प्रो पांडेय ने प्राणिकी एवं जैव-प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला द्वारा समय-समय पर आयोजित किये गए क्रायक्रमों की सराहना करते हुए सभी अध्यनशालाओं से इसका अनुसरण करने को कहा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री मनोज अग्रवाल एडिशनल प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर फॉरेस्ट उज्जैन ने बताया कि जैव विविधता मनुष्य के जीवन के लिए महत्वपूर्ण है, इसी लिए प्राचीन काल से ही जीव जंतु एवं पौधो का उल्लेख हमारी मुद्राओं में एवं धार्मिक स्थलों में मिलता है। अपने विद्यार्थियों से जैव-विविधता संरक्षण हेतु प्रयास करने को कहा तथा विशेषज्ञ द्वारा आवश्यक सहायता उपलब्ध करने की बात की। 

कार्यक्रम की विशेष अतिथि जिला वन अधिकारी श्रीमती किरण बिसेन ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत जैव विवधिता सम्पन्न देशो में से एक है और सभी विद्यार्थी अपने आस-पास एवं गांवों में अधिक से अधिक पौधरोपण कर सर्वप्रथन स्थानीय स्तर पर जैवविविधता का संरक्षण कार्य प्रारम्भ करे। कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि पूर्व कुलपति प्रोफेसर आर. सी. वर्मा ने विद्यार्थियों को पृथ्वी में जीवन की उत्पति, जैव-विविधता के प्रकार, उपयोगिता एवं उनके संरक्षण के विधियों कि जानकारी प्रदान की। 

कार्यक्रम के आयोजक सचिव डॉ अरविन्द शुक्ल, डॉ शिवि भसीन एवं डॉ गरिमा शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम में वैज्ञानिक व्याख्यान प्रतिस्पर्धा में कुमारी प्रज्ञा व्यास, कुमारी सुरभि सिंह, कुमारी स्नेहा वत्त एवं तन्मय जैन एवं वैज्ञानिक क्विज स्पर्धा में भी में कुमारी सलमा शाह, कुमारी भावना मालवीय, ऋषि पटेल और रौनक राठौर  को पुरस्कार प्राप्त हुए। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत प्रोफेसर डी. एम. कुमावत ने किया। 

संचालन प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्यनशाला के विभाग की छात्रा कुमारी भावना मालवीय एवं कुमारी मंतशा खान ने किया एवं आभार प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के अध्यक्ष डॉ सलिल सिंह ने माना। कार्यक्रम में प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा कुलानुशासक ने विद्यार्थियों को जैवविविधता के संरक्षण हेतु जन- जाग्रति अभियान चलाने हेतु प्रेरित किया। 

इस अवसर पर प्रोफेसर अलका व्यास, डॉ प्रीति दास, डॉ एस. के. जैन, डॉ जगदीश शर्मा, डॉ निहाल सिंह, डॉ संतोष कुमार ठाकुर, डॉ स्मिता सोलंकी, डॉ पराग दलाल, डॉ मुकेश वाणी एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे।

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