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मंत्रीद्वय ने साइंस कॉलेज के ऑडिटोरियम का भूमि पूजन एवं विक्रम विश्वविद्यालय के डिजिलॉकर का लोकार्पण किया

उज्जैन 04 मई। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान के मुख्य आतिथ्य में इन्दौर रोड स्थित अंजुश्री होटल के सभागार में एक दिवसीय राष्ट्रीय शिक्षा नीति सिंहावलोकन क्रियान्वयन एवं चुनौतियों से सम्बन्धित अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री प्रधान ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय कौशल उन्नयन एवं उद्यमिता मंत्रालय भारत सरकार ने मप्र सरकार ने सर्वप्रथम कोरोनाकाल में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने का जो कार्य किया है, वह प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि इस नई शिक्षा नीति को देश की स्वतंत्रता के पश्चात लागू करते हुए प्रसन्नता हो रही है। जिसने लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति जो नौकर बनाती थी, उसे प्रतिस्थापित किया जाकर नई शिक्षा नीति से रोजगार खोजने वाला बनाने का कार्य करेगी, जबकि यह शिक्षा पद्धति रोजगार देगी। पहली बार व्यावसायिक विषयों को समाहित करते हुए मातृभाषा एवंपारम्पिरिक भारतीय शिक्षा पर जोर दिया गया है।

केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि आज की आवश्यकता है कि इस नई शिक्षा नीति के अनुसार विश्वविद्यालय नवीन पाठ्यक्रमों को शुरू करेंगे, जबकि मध्य प्रदेश में यह शुरूआत हो गई है, जो भविष्य की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जैसे वर्तमान में कृषि में सर्वाधिक उपयोग ट्रेक्टर का हो रहा है, उसी तरह आने वाले समय में खेती में ड्रोन का उपयोग होगा। घर बैठे किसान अपनी सिंचाई, कीटनाशकों का छिड़काव आदि की मेपिंग करके नियंत्रित कर सकता है। इन सबके लिये कुशल तकनीकी विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी, जिसे पूर्ण करने के लिये इस नई शिक्षा नीति से सम्बन्धित पाठ्यक्रमों को जोड़ने का आव्हान करते हुए कहा कि भारत सरकार इस प्रकार की शिक्षा में ही युवाओं का भविष्य देखती है। हमारा देश एक उच्च जनसंख्या वाला देश है, जहां तकनीकी विशेषज्ञ विकसित किये जायें तो आने वाले समय में एक नवीन भारत का विकास होगा। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से चुनौतियां अधिक है, परन्तु इन चुनौतियों के पार स्वर्णिम भारत का भविष्य भी है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने मप्र सरकार की ओर से केन्द्रीय शिक्षा मंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली में उनका स्वागत है। उज्जैन प्राचीन समय से ही शिक्षा का केन्द्र रहा है। जहां विक्रमादित्य, कालिदास जैसे महान विद्वान हुए हैं तथा उज्ज्यिनी की शिक्षास्थली की परम्परा का निर्वाह करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मप्र में लागू किया गया है। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव ने कहा कि निश्चित रूप से यह एक साहसिक निर्णय था, क्योंकि देश में कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा था। ऐसे समय विभाग ने विभिन्न टीमों का चयन कर तेज गति से राष्ट्रीय नवीन शिक्षा नीति को मप्र में क्रियान्वित किया है। नवीन शिक्षा नीति छात्रों को विषय चयन व पाठ्यक्रमों को बढ़ाते हुए शासकीय ही नहीं अशासकीय महाविद्यालयों हेतु भी नेक आवश्यक करने जा रहे हैं। वर्तमान में भी महाविद्यालयों में आवश्यकता अनुसार अधोसंरचना विकसित कर रहे हैं, जिससे नेक में 'सी' ग्रेड वाले महाविद्यालय 'बी' में व 'बी' वाले 'ए' ग्रेड में आ रहे हैं। यहां तक कि 'ए प्लस' ग्रेड में भी उज्जैन का माधव विज्ञान महाविद्यालय ले चुका है। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव ने कहा कि विश्वविद्यालयों में नवीन कोर्सों को लागू करने से छात्रों को सीधे व्यवसाय से जुड़ेंगे। इससे छात्र सीधे उद्योग से जुड़ सकेंगे। महाविद्यालयों को स्थानीय उद्योगों से जोड़कर रोजगार की चुनौतियों को पार पाया जा सकेगा। उन्होंने उज्जयिनी की महिमा व यहां की शिक्षा की महत्ता को बताते हुए कहा कि गुरू सान्दीपनि की शिक्षा ही थी, जिसने कृष्ण को भगवान श्रीकृष्ण बना दिया। इसी तर्ज पर उज्जैन को उसी शिक्षास्थली में बदलने हेतु कृत संकल्पित हैं। हम निरन्तर उच्च शिक्षा में उच्च पायदानों को छू रहे हैं। एक वर्ष में मप्र का जीईआर 20 से बढ़कर 24 हो चुका है और हम शीघ्र ही राष्ट्रीय औसत से अधिक जीईआर पर पहुंच जायेंगे।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में मप्र उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त श्री दीपक सिंह ने राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति 2020 के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि देश में मप्र सरकार ने सर्वप्रथम नवीन शिक्षा नीति को लागू किया है। किसी भी विषय का विद्यार्थी अब दूसरे विषय का भी अध्ययन कर सकता है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली के तहत विविध विषय खोलकर पढ़ाने का कार्य प्रारम्भ कर दिया है। कार्यक्रम में अतिथियों के द्वारा 'नई शिक्षा नये आयाम' नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। अतिथियों ने विक्रम विश्वविद्यालय को डिजिटल लॉकर होने पर लोकार्पित किया। इसी तरह माधव विज्ञान महाविद्यालय के लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले कुशाभऊ ठाकरे ऑडिटोरियम का भूमि पूजन कार्यक्रम स्थल पर किया गया। कार्यक्रम के अन्त में अतिथियों ने मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से जुड़े महत्वपूर्ण पक्षों पर केन्द्रित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। कार्यक्रम का संचालन कुलानुशासक प्रो.शैलेंद्र कुमार शर्मा ने किया और अन्त में आभार विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर जनप्रतिनिधि, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुल सचिव, प्रोफेसर आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम समाप्ति के बाद केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव, श्री सुरेश सोनी आदि ने महानन्दा नगर स्थित तारा मण्डल में आयोजित डोंगला से सम्बन्धित वेधशाला की प्रदर्शनी का अवलोकन कर तारा मण्डल के ऑडिटोरियम का निरीक्षण कर जानकारी प्राप्त की। इस अवसर पर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने सम्बन्धित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। श्री सुरेश सोनी ने भी सम्बन्धितों को आवश्यक सुझाव दिये। इस अवसर पर सांसद श्री अनिल फिरोजिया, कलेक्टर श्री आशीष सिंह आदि उपस्थित थे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति सिंहावलोकन क्रियान्वयन एवं चुनौतियों से सम्बन्धित अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

इन्दौर रोड स्थित अंजुश्री होटल के सभागार में केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव आदि की उपस्थिति में राष्ट्रीय शिक्षा नीति सिंहावलोकन क्रियान्वयन एवं चुनौतियों से सम्बन्धित एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल हुए। संगोष्ठी दो तकनीकी सत्रों में सम्पन्न हुई। 

तकनीकी सत्र में तीन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर व्याख्यान दिये, जिनमें देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इन्दौर के कुलपति डॉ.रेणु जैन, अटल बिहारी हिन्दी विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति डॉ.खेमसिंह डेहरिया एवं पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रो.विजय कुमार सीजी थे।

संगोष्ठी में डॉ.दिवा मिश्रा समन्वय प्रकोष्ठ राष्ट्रीय शिक्षा नीति भोपाल, उद्योग जगत के विशेषज्ञ श्री अतीत अग्रवाल, सचिव मालवा प्रांत लघु उद्योग भारती एवं श्री रविप्रकाश लंगर आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर शोधपत्र का वाचन शासकीय महाविद्यालय जावद के प्राचार्य डॉ.देवीलाल अहिर एवं आगर-मालवा के शासकीय महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.रेखा गुप्ता ने किया। 

व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के शिक्षण पर व्याख्यान डॉ.एसके दुबे ने दिया। तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.कपिलदेव मिश्र ने की। इस अवसर पर विनियामक आयोग भोपाल के चेयरमेन श्री भरत शरण सिंह एवं डॉ.वीके गुप्ता उपस्थित थे। इन्दौर ने भी अपने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किये।

इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में तीन अलग-अलग देशों के वरिष्ठ शिक्षाविद, विशेषज्ञ वक्ताओं और लेखकों ने भाग लिया, इनमें शामिल थें प्रो अनूप स्वरूप, मेलबॉर्न, ऑस्ट्रेलिया, श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, वरिष्ठ साहित्यकार, मीडिया विशेषज्ञ, ओस्लो, नॉर्वे एवं डॉ जय वर्मा शिक्षाविद् एवं कवयित्री, नॉटिंघम, यूके।

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