मातृ वंदना : अध्यात्म, धर्म और विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न
आजादी के अमृत महोत्सव में मातृशक्ति सम्मान समारोह में हुआ महिलाओं का अभिनंदन
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के 10 वें वर्ष में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत मातृशक्ति सम्मान समारोह में शिक्षा, साहित्य, संस्कृति एवं समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय प्रदेश की महिलाओं को अभिनंदन पत्र अर्पित कर मातृशक्ति सम्मान से सम्मानित किया गया। शासकीय शिक्षा महाविद्यालय में इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी एवं काव्य गोष्ठी सम्पन्न हुई। मातृशक्ति सम्मान समारोह एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि श्री सुरेशचन्द्र शुक्ल, ओस्लो, नार्वे, मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय के कला संकायाध्यक्ष एवं कुलानुशासक डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, प्रमुख अतिथि श्री हरेराम वाजपेयी अध्यक्ष, हिन्दी परिवार इन्दौर, विशिष्ट अतिथि डॉ. देवेन्द्र जोशी, वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार एवं डॉ. संतोष पंड्या, निदेशक संस्कृत कालिदास अकादमी थे। कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा, अध्यक्ष राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना तथा विशिष्ट अतिथि डॉ प्रभु चौधरी, श्री जीवनप्रकाश आर्य, अध्यक्ष, आर्य समाज एवं डॉ. शीला कुशवाह शीलेश्वरी देवी उपस्थित थीं। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी मातृवंदना धर्म, अध्यात्म, विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में विषय केंद्रित थी। काव्य गोष्ठी नारी जागरण : मातृवंदना एवं भारतीय संस्कृति पर हुई।

कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक, ऑस्लो ने कहा कि परिवार और संस्कृति में नारी को विशेष स्थान मिला है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में नारियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। महिलाओं की राजनीतिक एवं आर्थिक स्वतंत्रता आवश्यक है। नॉर्वे में संस्थाओं से लेकर संसद तक चालीस प्रतिशत से अधिक महिलाओं की भूमिका दिखाई देती है।
मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि स्त्री और पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं। नारी के बिना पुरुष का कोई अस्तित्व नहीं। दोनों का सम्बन्ध अभिन्न और अखण्ड है। अनादि काल से लेकर आज तक का समाज और अध्यात्म जगत् में नारी की स्थिति में परिवर्तन होता आया है। एक साथ कई रूपों में सक्रिय नारी न केवल जीवन बनाती है, बल्कि इसे और भी सुंदर बनाती है। विज्ञान एवं चिकित्सा की दृष्टि से स्त्री की विलक्षण स्थिति दिखाई देती है। वर्तमान में स्त्री स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए व्यापक जागरूकता की आवश्यकता है। विज्ञान, तकनीकी और चिकित्सा के विकास में महिलाओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
वरिष्ठ साहित्यकार श्री हरेराम वाजपेयी ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में स्त्रियों की भूमिका सभी क्षेत्रों में बढ़ रही है। हमें देखना होगा कि उन्हें कितना सम्मान किया जा रहा है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में शिक्षाविद श्री बृजकिशोर शर्मा ने कहा कि मातृ शक्ति का महत्व सर्वोपरि है। नारी विषम परिस्थितियों में भी कार्य करती है। पुरुष और नारी के सामंजस्य से ही संसार की सुकृति होती है। परिवार में वह हर स्थिति में परिवार जनों को संबल देती है। वह शुभ बुद्धि और प्रेरणादायी देवी है। दुर्गा की वंदना वस्तुतः नारी की वंदना है।
डॉक्टर देवेंद्र जोशी ने कहा कि देश में नारी का दर्जा पुरुष से बढ़कर रहा है। वह धैर्य और शक्ति की प्रतीक है। ऋग्वैदिक काल में नारी ने अपने तपोबल और ज्ञान के माध्यम से अनेक योगदान दिए। समय के अंतराल में स्त्री पुरुष के बीच असमानता की स्थिति बनी है। इससे मुक्त होने की आवश्यकता है।
संस्कृत विद्वान डॉ संतोष पंड्या ने कहा कि पार्वती और परमेश्वर की तरह स्त्री और पुरुष का समान योगदान है। भारतीय परंपरा में पिता से माता को हजार गुना अधिक सम्मान देने की बात की गई है।
समारोह में मातृशक्ति सम्मान से डॉ. रश्मि श्रीवास्तव, डॉ. शीलेश्वरी देवी, श्रीमती प्रभा बैरागी, श्रीमती मणिमाला, श्रीमती शीतल राघव, श्रीमती मनोरमा जोशी, श्रीमती प्रभा तिवारी, श्रीमती ज्योति ठाकुर, डॉ. दविन्दर कौर होरा, डॉ. सीमा जोशी, श्रीमती निर्मला रावल, श्रीमती जया पाण्डे, श्रीमती हेमा अग्रवाल, श्रीमती नरगिस खान, सुश्री संगीता आशापुरे, श्रीमती सुषमा शुक्ला, डॉ. अमृता अवस्थी, श्रीमती संगीता श्रीवास्तव, श्रीमती निशा पंडित, डॉ. विद्या जोशी, श्रीमती आशा जवेरिया, श्रीमती सरोज निम, श्रीमती ब्रजबाला गुप्ता, श्रीमती कल्पना शाह, श्रीमती ज्योति जलज, श्रीमती ज्ञानेश्वरी शिन्दे, श्रीमती संध्या शिवहरे, डॉ. मनीषा ठाकुर, डॉ. मनोरमा जैन, सुश्री हेमलता शर्मा, श्रीमती हेमलता तोमर, परवीन शेख, डॉ. इन्दु सिन्हा, श्रीमती हीना तिवारी, दाखा कारपेन्टर, डॉ. रूचिता साकोरीकर, लेखराज शिवहरे, प्रगति बैरागी आदि पचास महिलाओं को सम्मानित किया गया।
समारोह का शुभारंभ अतिथियों ने सरस्वती पूजन एवं दीपदीपन किया। प्रस्तावना डॉ. प्रभु चौधरी राष्ट्रीय महासचिव ने प्रस्तुत की। अतिथि परिचय संयोजक श्रीमती प्रभा बैरागी ने दिया। स्वागत भाषण डॉ. रश्मि श्रीवास्तव ने दिया। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत सह आयोजक सुश्री प्रगति बैरागी, संयोजक डॉ. इन्दु सिन्हा, सह संयोजक सुश्री हेमलता शर्मा एवं स्वागताध्यक्ष श्रीमती हेमलता तोमर ने किया, अतिथियों का उद्बोधन एवं अध्यक्षीय भाषण के पश्चात् अभिनंदन पत्र देकर सम्मान एवं स्वागत किया। समारोह का संचालन डॉ. सुनीता आशापुरे ने एवं आभार प्रदर्शन डॉ मनीषा ठाकुर ने किया।
राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी समारोह की मुख्य अतिथि रतलाम की डॉ. इन्दु सिन्हा, विशिष्ट अतिथि श्रीमती निर्मला रावल नागदा, संगीता श्रीवास्तव, शीलेश्वरी देवी, उज्जैन, सुषमा शुक्ला इन्दौर, श्रीमती कल्पना शाह, कुक्षी, प्रतिभा मिश्रा, डॉ. प्रभु चौधरी थे तथा अध्यक्षता श्रीमती ज्योति जलज प्रदेशाध्यक्ष ने की।
अतिथियों का स्वागत डॉ. शीतल देवयानी, अतिथि परिचय प्रगति बैरागी, संचालन श्रीमती प्रभा बैरागी एवं आभार प्रदर्शन हेमलता तोमर कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष नागदा ने किया। गोष्ठी में कविता पाठ प्रभा तिवारी, डॉ. मनोरमा जैन, सुषमा शुक्ला, डॉ. इन्दु सिन्हा, ज्योति जलज, सीमा जोशी, ज्ञानेश्वरी शिन्दे, रश्मि श्रीवास्तव, मणिमाला शर्मा, ज्योति ठाकुर, शीतल राघव, डॉ. जयकांत शर्मा, विमल जैन, सुरेशचन्द्र शुक्ल आदि ने राष्ट्रीय एवं मातृवंदना प्रस्तुत की। समारोह में डॉ. राजेश साकोरीकर, डॉ. निसार फारूकी, श्री बलवंतसिंह सहित पदाधिकारी उपस्थित रहे।
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