महिदपुर रोड । प्रबुद्ध शिक्षकों के संगठन राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की वार्षिक पत्रिका टू मीडिया का "आजादी के अमृत महोत्सव" के अवसर पर विशेषांक "अमृतायनी" के प्रकाशन का लोकार्पण कर्नाटक के राज्य पाल डा.थावरचंद गेहलोत ने डेलनपुर हनुमान मंदिर पर आयोजित एक गरिमामय समारोह में किया ।
इस अवसर पर पत्रिका के संपादक डॉक्टर प्रभु चौधरी, विधायक बहादुर सिंह चौहान, हनुमान प्रसाद शर्मा, पूर्व विधायक लाल सिंह राणावत, दिलीप सिंह शेखावत, जितेंद्र गेहलोत सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिकों के अलावा साहित्य में रुचि रखने वाले विद्वत जन उपस्थित रहे ।आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ | Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी - आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं। उनके उपन्यास और कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं। उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है। मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्ट पहलू उजागर
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