Skip to main content

व्यक्तित्व विकास एवं साक्षात्कार की तैयारी पर विशिष्ट व्याख्यान सम्पन्न

विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा मेगा जॉब फेयर के पूर्व किया गया विशेष व्याख्यान का आयोजन

उज्‍जैन । विक्रम विश्वविद्यालय में दिनांक 28 अप्रैल 2022 को व्यक्तित्व विकास, बॉयोडाटा निर्माण एवं साक्षात्कार की तैयारी विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें ऑफलाइन एवं ऑनलाइन मोड में सैकड़ों विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का यू ट्यूब चैनल पर ऑनलाईन प्रसारित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय ने की। अपने वक्तव्य में कुलपति प्रो पांडेय ने छात्रों को अपने बॉयोडाटा के निर्माण में स्पष्टता लाने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि साक्षात्कार में अभिव्यक्ति स्पष्ट होना चाहिए। विद्यार्थियों को साक्षात्कार के समय आत्म विश्वास से परिपूर्ण रहना चाहिए। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ. दीप्ति उपाध्याय ने विद्यार्थियों को बॉयोडाटा निर्माण के सूक्ष्म गुणों एवं बारीकियों के सम्बन्ध में समझाया। साथ ही उन्होंने साक्षात्कार की तैयारियाँ कैसे करें, इस विषय पर भी विस्तार से बताया।

कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता श्री अभिषेक सोनी ने विद्यार्थियों को साक्षात्कार में शामिल होने एवं चयन होने पर कार्यभार ग्रहण करने के लिये प्रेरित किया।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने कार्यक्रम की पीठिका प्रस्तुत करने हुए विद्यार्थियों को साक्षात्कार एवं सम्प्रेषण कौशल की प्रमुख विशेषताओं से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि भाषा का सम्यक् ज्ञान अभिव्यक्ति को बेहतर बनाता है। संप्रेषण कौशल किसी भी जॉब अवसर के लिए जरूरी है।

कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. अरविन्द शुक्ला एवं डॉ. शिवि भसीन ने सभी विद्यार्थियों से साक्षात्कार में उपस्थित रहने की अपील की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अंजलि उपाध्याय ने किया एवं आभार डॉ. कंचन थूल ने माना।

कार्यक्रम में डीएसडब्ल्यू डॉ. एस.के. मिश्रा, डॉ. जितेश पोरवाल, डॉ. नेहा उपाध्याय, डॉ. गरिमा शर्मा आदि सहित शिक्षक एवं विश्वविद्यालय के छात्र - छात्राएँ बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

Comments

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्ट पहलू उजागर

मालवी भाषा और साहित्य : प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

MALVI BHASHA AUR SAHITYA: PROF. SHAILENDRAKUMAR SHARMA पुस्तक समीक्षा: डॉ श्वेता पंड्या Book Review : Dr. Shweta Pandya  मालवी भाषा एवं साहित्य के इतिहास की नई दिशा  लोक भाषा, लोक साहित्य और संस्कृति का मानव सभ्यता के विकास में अप्रतिम योगदान रहा है। भाषा मानव समुदाय में परस्पर सम्पर्क और अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। इसी प्रकार क्षेत्र-विशेष की भाषा एवं बोलियों का अपना महत्त्व होता है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति से जुड़े विशाल वाङ्मय में मालवा प्रदेश, अपनी मालवी भाषा, साहित्य और संस्कृति के कारण महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। यहाँ की भाषा एवं लोक-संस्कृति ने  अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव डालते हुए अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। मालवी भाषा और साहित्य के विशिष्ट विद्वानों में डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। प्रो. शर्मा हिन्दी आलोचना के आधुनिक परिदृश्य के विशिष्ट समीक्षकों में से एक हैं, जिन्होंने हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं के साथ-साथ मालवी भाषा, लोक एवं शिष्ट साहित्य और संस्कृति की परम्परा को आलोचित - विवेचित करने का महत्त्वपूर्ण एवं सार्थक प्रयास किया है। उनकी साहित्य

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं द