उज्जैन : एतद्द्वारा सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा शिक्षकीय बैकलाग एवं सपोर्टिंग स्टाफ (A. Teaching no 01 to 20. B. Supporting no. 1) पदों की भर्ती हेतु No./admn/22/2255 dated: 28/03/2022 जारी किया गया था। यह विज्ञापन दिनांक 31 मार्च 2022 को समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ है। उस विज्ञापन से संबंधित चयन प्रक्रिया के संबंध में किसी भी प्रकार की याचिका / आवेदन माननीय उच्च न्यायालय म प्र में प्रस्तुत किये जाने की दशा में सर्वप्रथम विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलसचिव को याचिका / आवेदन की प्रति आवश्यक रूप से उपलब्ध कराई जाकर पावती प्राप्त की जाये। ✍️कुलसचिव, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ | Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी - आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं। उनके उपन्यास और कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं। उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है। मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्ट पहलू उजागर
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