लेखकीय व्यक्तव्य में डॉ. प्रभु चौधरी ने लिखा है वह 2001 मे नागरी लिपि परिषद् के शिर्डी सम्मेलन में परिषद के आजीवन सदस्य बने थे। उनके अब तक 200 से अधिक नागरी लिपि विषयक लेख परिषद की मुख पत्रिका ‘नागरी संगम‘ और हिन्दी की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए थे उनमें से चयन करके 18 लेखो की इस पुस्तक में स्थान दिया गया है। इस पुस्तक में नागरी लिपि के विभिन्न पक्षो यथा नागरी लिपि की उत्पत्ति ओर विकास, दक्षिण भारत में नागरी लिपि, नागरी लिपि के गुण एवं विशेषताएं, इसकी वैज्ञानिक प्रयोग, नागरी लिपि की शक्ति, सीमाएं और संभावनाएं आदि विषयो पर सारगर्भित विवेचन किया गया है। अध्यक्ष डॉ. प्रेमचन्द्र पांतजलि ने लेखक बधाई दी और नागरी लिपि के क्षेत्र में डॉ. प्रभु चौधरी के प्रयासो की सराहना की। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रंजीतकुमार(बेंगलुरू) ने प्रस्तुत किया।
संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...
Comments