Skip to main content

विक्रम विश्वविद्यालय कार्यपरिषद की बैठक सम्पन्न

बैठक में बजट वित्तीय वर्ष 2021-22 के पुनरीक्षित वित्तीय अनुमानों तथा बजट वित्तीय वर्ष 2022-23 के मूल वित्तीय अनुमानों एवं वास्तविक आय-व्यय पर हुआ विचार

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की कार्यपरिषद् की बैठक दिनांक 16 एवं 17.03.2022 को सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय ने की। बैठक में कार्यपरिषद् के सदस्य श्री राजेश सिंह कुशवाह, श्री सचिन दवे, सुश्री ममता बैण्डवाल, श्री विनोद यादव, श्रीमती कुसुमलता निंगवाल, श्री संजय नाहर, डॉ. लक्ष्मीनारायण शर्मा, डॉ. दीपिका गुप्ता, डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ. पी.के. वर्मा, डॉ. दिनेश कुमार सोनी, डॉ. गोविन्द गन्धे, अतिरिक्त संचालक डॉ. आर. सी. जाटवा, संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा श्रीमती सुषमा ठाकुर एवं कुलसचिव डॉ. प्रशान्त पुराणिक उपस्थित थे। बजट का सारांश वित्त नियंत्रक श्री जे. एस. भदौरिया ने प्रस्तुत किया।

बजट वित्तीय वर्ष 2021-22 के पुनरीक्षित वित्तीय अनुमानों तथा बजट वित्तीय वर्ष 2022-23 के मूल वित्तीय अनुमानों एवं वास्तविक आय-व्यय पर विचार किया गया एवं उसे विश्वविद्यालय सभा के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्णय लिया गया। केन्द्र एवं राज्य शासन निर्धारित उच्च शिक्षा नीति के निर्धारित उद्देश्यों, लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु वित्त संसाधनों की व्यवस्था का अनुमान इस बजट में निहित है। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं – विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा, उन्नयन तथा उत्कृष्ट अध्ययन केन्द्र के रूप में प्रतिष्ठापित करना, अध्ययन-अध्यापन, शोध, शैक्षणिक, सांस्कृतिक गतिविधियों एवं छात्र-छात्राओं के सर्वागीण विकास का लक्ष्य, विश्वविद्यालय के समस्त विभागों का आधुनिकीकरण किया जाकर प्रशासनिक दृष्टि से पारदर्शी एवं उपयोगी बनाने की ओर कदम एवं नवीन पाठ्यक्रमों के माध्यम से समस्त शिक्षा विधाओं में अध्ययन, अध्यापन, जो विद्यार्थियों के आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, नैतिक विकास का माध्यम बने। विभिन्न अध्ययनशालाओं में प्रारम्भ किये गये नवीन पाठ्यक्रमों के लिये वित्त वर्ष 2022-2023  में एक करोड़ का प्रावधान रखा गया है। अनेक नये कोर्स वित्तवर्ष 2021- 2022 में प्रारम्भ किए गए, जिसमें कुल स्वीकृत सीट 2770 एवं एडमीशन 1915 हुए । इनसे वर्ष 2021 - 2022 में रुपये 2 करोड़ 18 लाख की आय तथा वर्ष 2022-2023 में इनसे रुपये 5 करोड़ 86 लाख की आय संभावित है।

बजट में विद्यार्थियों हेतु विभिन्न प्रावधान किये गये हैं- अनुसंधान निधि 80 लाख, 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्ति पर पुरस्कार, सम्मान 15 लाख, स्वर्ण पदक, राष्ट्रीय, राज्य, अर्न्तराष्ट्रीय खिलाड़ियों के लिये विक्रम सम्मान, ट्रेकसूट, अ.जा., अ.ज.जा., निर्धन छात्रों को प्रवेश शुल्क मुक्ति, सहायता राशि, शोध, राष्ट्रीय सेमिनार, संगोष्ठी, वर्कशॉप, दीक्षांत समारोह, शोध-पत्रिका प्रकाशन, पुरस्कार, पुस्तकालय विकास, पुस्तकें, ई रिसोर्स सेंटर एवं ई लाइब्रेरी हेतु रुपये 2.02 करोड़ का प्रावधान आदि ।

बजट में अधिकारी, कर्मचारी हेतु विभिन्न प्रावधान किये गये हैं- अधिकारी, कर्मचारियों के वेतनमान, समयमान, महंगाई भत्ता, गंभीर बीमारी पर चिकित्सा सहायता (25000), सेवानिवृत्ति पर विदाई सम्मान समारोह आदि ।

बजट में अधोसंरचना विकास हेतु विभिन्न प्रावधान किये गये हैं- अध्ययनशालाओं का उन्नयन, नवीन पाठ्यक्रम कृषि हेतु कृषि भवन प्रावधान रुपये 12.00 करोड़, परिसम्पतियों के रख-रखाव एवं उन्नयन के लिये प्रावधान रुपये 5.00 करोड़।

बजट अनुमान वर्ष 2021-22 में घाटा रुपये (-) 459.80 लाख दर्शाया गया था, जबकि वर्ष 2021-22 के संशोधित बजट अनुसार स्थिति निम्नानुसार है :

वर्ष 2021-22 की संशोधित आय - राशि रुपये 8837.71 लाख

वर्ष 2021-22 का संशोधित व्यय - राशि रुपये 7839.87 लाख

अवशेष - राशि रुपये 997.84 लाख 

वर्ष 2021-22 में रुपये 997.84 लाख की बचत प्रावधानित की गई है। विश्वविद्यालय द्वारा वित्तीय अनुशासन का कड़ाई से पालन करते हुए वित्तीय नियत्रंण एवं अनुशासन स्थापित करने एवं बजट को नियंत्रित किया जाकर प्रस्तावित बजट घाटे को लाभ की स्थिति में परिवर्तित किया गया।

विक्रम विश्वविद्यालय में बजट पर हुए विचार के अंतर्गत वित्त वर्ष 2022 - 23 के प्रस्तावित बजट का विवरण इस प्रकार है: 

आय 360.60 करोड़ 

व्यय 365.36 करोड़

अंतर  - 4.76 करोड़

विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की सभा की आगामी बैठक दिनांक 19.03.2022 को दोपहर 1.00 बजे एवं कार्यपरिषद् की आगामी बैठक दिनांक 19.03.2022 को दोपहर 3.00 बजे आयोजित होगी, जिसमें सभा की अनुशंसा उपरांत बजट को अन्तिम स्वीकृति प्रदान की जाएगी।

बैठक के अंत में कुलसचिव डॉ. प्रशान्त पुराणिक द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...