प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय शिवदर्शनधाम के प्रांगण में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कार्यक्रम सम्पन्न
उज्जैन - ऋषि नगर स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय शिवदर्शनधाम के प्रांगण में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में कार्यक्रम सम्पन्न गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन करके किया गया और जिसमें अनेक मातृ शक्तियों ने भाग लिया। ब्रह्माकुमारी उषा दीदी उज्जैन सम्भाग प्रभारी , ब्रह्माकुमारी मीना, बहन पारूल शाह, अध्यक्ष योगानंदनम नारी शक्ति पीठ और लायंस क्लब प्रतिष्ठा के अध्यक्ष, बहन मेघा चंदेल डाइटिशियन, बहन उर्मिला श्रीवास्तव अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय सदस्य तथा चित्रगुप्त मंदिर के ट्रस्टी, डॉ अनीता चौधरी विभागाध्यक्ष फिजियोलॉजिस्ट ऑडीगार्डी मेडिकल कॉलेज, डॉ नलिनी लंगर जी पूर्व गवर्नर रोटरी क्लब, बहन चेतना श्रीवास्तव महिला मंडल जिला अध्यक्ष कायस्थ समाज, बहन अनुपमा श्रीवास्तव संयोजिका स्वर्णिम भारत मंच, डॉ अलका व्यास जी विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजिस्ट विक्रम यूनिवर्सिटी सभी अथिति के रुप में शामिल हुए।
बहन पारूल शाह ने कहा कि कोई भी परिवार समाज अथवा राष्ट्र तब तक प्रगति के क्षेत्र में अग्रसर नहीं हो सकता जब तक नारी का सम्मान ना किया जाए। एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में नारी केंद्रीय भूमिका निभाती है। महिला है देश की तरक्की का आधार उनके प्रति बदलो अपने विचार।
बहन डॉक्टर नलिनी लंगर ने ब्रह्माकुमारीज़ के बारे में बताते हुए कहा कि जिस संस्था में संपूर्ण वर्चस्व नारी का हो उस संस्था में नारी के बारे में कुछ कहने की आवश्यकता ही नहीं है। यत्र नारी पूज्यंते रमंते तत्र देवता । नारी के बिना हर घर अधुरा है। हम सब जानते हैं कि जब श्री राम जी को यज्ञ रचना था तो मां सीता की अनुपस्थिति में सोने की मूर्ति रखा गया और यज्ञ को संपन्न किया गया। आपने आगेबताया कि नारी में संभावनाओं की कमी नहीं है लेकिन हमने दूसरे रास्ता को अपना लिया है जहां कर्म से ज्यादा अहम को महत्व दे देते हैं। नारी का नारीत्व तो तभी समर्थ होगा जब बच्चों की भावनाओं को समझ कर उनके कर्मों को उजागर करेंगे।
उर्मिला श्रीवास्तव जी ने कहा कि महिलाएं अपना वजूद भुलाकर हर किरदार निभाती हैं । यह वह देवी है जो घर को स्वर्ग बनाती है। मां पहली गुरु मानी गई है । नारी शक्ति चाहे तो बच्चे को राम या कृष्ण बनाकर कंस का वध भी करा सकती है। जहां आवश्यकता पड़ती है वहां नारी को शक्ति रूप लेना पड़ता है अत्याचार बढ़ने पर पार्वती को ही काली का रूप लेना पड़ा नारी को अपना सम्मान खुद बनाकर रखना चाहिए। हर समस्या का समाधान उसके पास होना चाहिए। चाहे परिवार की हो चाहे समाज की हो।
डॉ अनिता चौधरी जी ने कहा कि यह दुनिया समझाने से न जाने क्यों नहीं समझती पर मां बिन कहे ही सब कुछ समझ जाती है नारी को भगवान का दर्जा दिया जाता है। नारी ही संपूर्ण सृष्टि की श्रृजनकर्ता है नारी अपने बच्चों की पहली शिक्षिका होती है और परिवार पहली पाठशाला होती है।
राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी उषा दीदी जी ने कहा कि महिलाएं आने वाले नए विश्व की ध्वज वाहिनी है । एक समय था 1936 में जब माताओं की निम्न स्थिति थी । पर्दे में रहती थी, उनको आगे नहीं आने दिया जाता था, नारी को नर्क का द्वार कहा जाता था, उन्हीं माताओं बहनों के ऊपर परमपिता परमात्मा ने ज्ञान का कलश रख स्वर्ग का गेट खोलने के निमित्त बनाया और आज 86 साल हो गए हैं पर यह संस्था दिन दुगनी रात चौगुनी उन्नति को पा रही है। माता ही बालक का पहला गुरु होती है। मातृशक्ति के ऊपर बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं वही बच्चों ने श्रेष्ठ संस्कार का बीज डालती हैं।
ब्रह्माकुमारी मीना बहन ने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्था नारी सशक्तिकरण का प्रत्यक्ष उदाहरण है नारी द्वारा संचालित विश्व की अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं है विश्व परिवर्तन के कार्य में परमात्मा ने नारी शक्ति का चयन किया है। नारी और और नीर दोनों का व्यक्तित्व समान है सरलता इतनी जिस साचे में डालो सहज ही ढल जाती है साथी ही कठोरता या दृढ़ता इतनी की नील नदी में बहने लगती है उसका रास्ता कोई रोकने की कोशिश करें तो वह अपना रास्ता स्वयं बनाकर आगे निकल जाती है। नारी भी इसी तरह दृढ़ संकल्पित है उसका रास्ता भी कोई रोक नहीं सकता।
ब्रह्माकुमारी गायत्री बहन नें कुशलतापूर्वक कार्यक्रम का संचालन किया।
कुमारी युक्ता ने नारी सशक्तिकरण को अपने सुंदर नृत्य द्वारा प्रस्तुति किया।
अनेक विशिष्टजनों ने कार्यक्रम का लाभ लिया।
अतः अंत में सभी मेहमानों को ईश्वरीय सौगात देकर कार्यक्रम को सम्पन्न किया ।
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