Skip to main content

विक्रम विश्वविद्यालय की प्रगति में अविस्मरणीय योगदान दिया प्रो राव ने - कुलपति प्रोफेसर पांडेय

अधिवार्षिकी सेवानिवृत्ति पर विक्रम विश्वविद्यालय के आचार्य एवं इग्नू के कुलपति प्रो राव का हुआ सारस्वत सम्मान

उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा पं जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान के आचार्य एवं इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी – इग्नू, नई दिल्ली के कुलपति प्रो नागेश्वर राव की अधिवार्षिकी सेवानिवृत्ति पर उनका सारस्वत सम्मान किया गया। विक्रम विश्वविद्यालय प्रशासन एवं शिक्षक संघ द्वारा शलाका दीर्घा सभागार में आयोजित इस गरिमामय आयोजन की अध्यक्षता कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने की। इस अवसर पर प्रो नागेश्वर राव के व्यक्तित्व और उनके योगदान पर विभिन्न वक्ताओं ने प्रकाश डाला। इनमें विक्रम विश्वविद्यालय एवं रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर के पूर्व कुलपति प्रो रामराजेश मिश्र, मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो गोपाल कृष्ण शर्मा, कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा एवं विक्रम विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ कानिया मेड़ा आदि सम्मिलित थे। अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि शिक्षक ही किसी विश्वविद्यालय की प्रगति के आधार होते हैं। उनकी ऊर्जा और सक्रियता से विश्वविद्यालय की पहचान बनती है। प्रो राव ने विक्रम विश्वविद्यालय सहित देश के अनेक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों की बहुआयामी प्रगति में अपना अविस्मरणीय योगदान दिया है। उनका सम्मान कर विक्रम विश्वविद्यालय स्वयं को सम्मानित कर रहा है।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए इग्नू के कुलपति प्रो नागेश्वर राव ने कहा कि मैंने विक्रम विश्वविद्यालय से जो सीखा, वह निरंतर काम आ रहा है। मैं इस संस्था से 32 वर्षों से जुड़ा रहा हूं। कोई भी संस्था बिना समर्पण के आगे नहीं बढ़ती है। विक्रम विश्वविद्यालय से प्राप्त स्नेह मेरे जीवन की पूंजी है। मैं विश्वविद्यालय और उज्जैन नगर से सदैव जुड़ा रहूंगा।

पूर्व कुलपति प्रो रामराजेश मिश्र ने कहा कि प्रो नागेश्वर राव सादगीपूर्ण जीवन के पर्याय हैं। वे सरलता की प्रतिमूर्ति हैं। विक्रम विश्वविद्यालय को नई पहचान दिलाने में प्रो राव ने अविस्मरणीय योगदान दिया है। उन्होंने विक्रम विश्वविद्यालय में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। वे सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के प्रबंधक के रूप में सदैव जाने जाएंगे। प्रो गोपाल कृष्ण शर्मा ने कहा कि प्रो नागेश्वर राव का व्यक्तित्व अजातशत्रु है। उनके नेतृत्व में विक्रम विश्वविद्यालय और व्यवसाय प्रबंध संस्थान की पहचान देशभर में बनी। सबको स्नेह और सम्मान करना उनसे सीखना चाहिए।


कार्यक्रम में शॉल, श्रीफल, श्रीमद्भगवद्गीता और मिष्ठान्न अर्पित कर प्रो नागेश्वर राव का सम्मान कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय एवं कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक ने किया। विक्रम विश्वविद्यालय शिक्षक संघ की ओर से उनका सम्मान अध्यक्ष डॉ कानिया मेड़ा, प्रांतीय अध्यक्ष डॉ सत्येंद्र किशोर मिश्रा, प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, डॉ डी डी बेदिया एवं पदाधिकारियों ने किया। आयोजन में उपस्थित पूर्व कुलपति प्रो रामराजेश मिश्र, प्रो आर सी वर्मा, प्रो बालकृष्ण शर्मा, प्रोफेसर पी के वर्मा, प्रो नागेश शिंदे, प्रो शुभा जैन, प्रो एच पी सिंह, प्रो के एन सिंह, प्रोफेसर प्रेमलता चुटैल, प्रो दीपिका गुप्ता, प्रो अचला शर्मा, प्रो उमा शर्मा, प्रो गीता नायक, प्रो डी एम कुमावत, डॉ उमेश कुमार सिंह, डॉ अंजना पांडेय, डॉ सोनल सिंह, डॉ ज्योति उपाध्याय, डॉ जगदीश चंद्र शर्मा, डॉ बी के आंजना, डॉ संदीप तिवारी, डॉ सचिन राय, उप कुलसचिव डॉ डी के बग्गा, डॉ मनु गोराहा, डॉ विश्वजीतसिंह परमार, डॉ कमल बुनकर, श्री राकेश खोती, श्री कमल जोशी, श्री राजू यादव, श्री तेजपाल यादव, श्री विपुल मईवाल, श्री मनीष सातलकर, श्रीमती सरस्वती चौहान, गरिमा पंडित, भारती पखाले, डॉ अजय शर्मा आदि सहित विश्वविद्यालय के अनेक विभागाध्यक्ष, शिक्षक, अधिकारी और कर्मचारियों ने प्रो राव एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियों को माल्यार्पण करते हुए उनका सम्मान किया।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त कर्मचारी श्रीमती करुणा अवस्थी एवं ऑडिट विभाग के श्री अंबावतिया को शॉल, श्रीफल, श्रीमद्भगवद्गीता एवं मिष्ठान्न अर्पित कर उनका सम्मान कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक ने किया। कार्यक्रम का संचालन कला संकायाध्यक्ष प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल के पूर्व कुलपति प्रोफेसर पी के वर्मा ने किया।

Comments

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्ट पहलू उजागर

मालवी भाषा और साहित्य : प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

MALVI BHASHA AUR SAHITYA: PROF. SHAILENDRAKUMAR SHARMA पुस्तक समीक्षा: डॉ श्वेता पंड्या Book Review : Dr. Shweta Pandya  मालवी भाषा एवं साहित्य के इतिहास की नई दिशा  लोक भाषा, लोक साहित्य और संस्कृति का मानव सभ्यता के विकास में अप्रतिम योगदान रहा है। भाषा मानव समुदाय में परस्पर सम्पर्क और अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। इसी प्रकार क्षेत्र-विशेष की भाषा एवं बोलियों का अपना महत्त्व होता है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति से जुड़े विशाल वाङ्मय में मालवा प्रदेश, अपनी मालवी भाषा, साहित्य और संस्कृति के कारण महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। यहाँ की भाषा एवं लोक-संस्कृति ने  अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव डालते हुए अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। मालवी भाषा और साहित्य के विशिष्ट विद्वानों में डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। प्रो. शर्मा हिन्दी आलोचना के आधुनिक परिदृश्य के विशिष्ट समीक्षकों में से एक हैं, जिन्होंने हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं के साथ-साथ मालवी भाषा, लोक एवं शिष्ट साहित्य और संस्कृति की परम्परा को आलोचित - विवेचित करने का महत्त्वपूर्ण एवं सार्थक प्रयास किया है। उनकी साहित्य

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं द