उज्जैन : राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा नवरात्रि में प्रतिवर्षानुसार नववर्ष में मालवा प्रांत की शिक्षा, साहित्य, धर्म-संस्कृति एवं समाजसेवी मातृशक्ति का सम्मान आगामी 3 अप्रेल रविवार को शिक्षा महाविद्यालय उज्जैन में आयोजित होगा।
यह जानकारी राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने देते हुए बताया कि गत 10 वर्षो से मालवा प्रांत का मातृशक्ति सम्मान इन्दौर एवं उज्जैन संभाग का समारोह होता है। समारोह में आमंत्रित मातृशक्ति को अतिथियों द्वारा सम्मानित किया जावेगा। आयोजन में राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, मार्गदर्शक श्री हरेराम वाजपेयी, राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा, साहित्यकार डॉ. पूरण सहगल, डॉ. देवेन्द्र जोशी सहित अनेक विद्वानो की उपस्थिति में सम्पन्न होगा। समारोह को सफल बनाने की अपील डॉ. मनीषा ठाकुर, प्रभा बैरागी, डॉ. रेखा भालेराव, प्रगति बैरागी, पायल प्रमाणिक, अर्पणा जोशी, सुश्री हेमलता शर्मा, अमृता अवस्थी, अनिल सेठिया, ज्योति चौहान आदि ने की है।आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ | Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी - आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं। उनके उपन्यास और कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं। उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है। मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...
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