प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के प्रांगण में "आजादी का अमृत से स्वर्णिम भारत की ओर" के तहत प्रशासन वर्ग का कार्यक्रम सम्पन्न
उज्जैन । ऋषिनगर स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के प्रांगण में 22 फरवरी को "आजादी का अमृत से स्वर्णिम भारत की ओर" इसके तहत प्रशासन वर्ग का कार्यक्रम रखा गया । इस कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित करके किया गया। जिसमें अतिथि के रूप में पीएफ कमिश्नर वैभव सिंह जी, पूर्व मैनेजर भूपेंद्र कुमार श्रीवास्तव जी, एल आई सी मैनेजर दीपक राजोरे जी, ब्रम्हाकुमारी राजयोगिनी उषा दीदी जी , ब्रम्हाकुमारी मंजू दीदी, सम्मिलित हुए। कुमारी गीतिका ने शिव भक्ति पर आधारित नृत्य की प्रस्तुति दी।
पीएफ कमिश्नर वैभव सिंह जी ने कहा कि, संसार में जो भी कार्य होते हैं परमात्मा के द्वारा होते हैं, यह सारी दुनिया परमपिता परमात्मा की रचना है, हम तो सिर्फ निमित्त मात्र है । हमारा प्रशासन ऐसा होना चाहिए जो हमें किसी पब्लिक के पास ना जाना पड़े और ना ही पब्लिक को हमारे पास आना पड़े हम सभी को अपना कार्य बहुत निष्ठा और निस्वार्थ भाव से सेवा करना यही प्रशासक कहलाता है, प्रशासक हम नहीं वह तो परमपिता परमात्मा शिव है । हमें अपने जीवन में प्रशासक के रूल्स के साथ-साथ मानवीय मूल्यों को भी जोड़ लेना चाहिए ।
क्षेत्रीय निर्देशिका राजयोगिनी ब्रम्हाकुमारी उषा दीदी जी ने कहा कि, परमपिता परमात्मा शिव हम आत्माओं के पिता हैं, संसार के नियंता हैं, परमात्मा ही विश्व का सर्वश्रेष्ठ प्रशासक है, जैसा कर्म हम करते हैं, उस कर्म का फल हम प्राप्त करते हैं, कर्म की अपनी फिलासफी है। परमात्मा कहते हैं यह संसार एक कर्म क्षेत्र है और इसमें तुम खेल खेलने आए हो। अपना कार्य तुम एक्यूरेट करो, कर्म करते स्मृति रहे करण करावन हार परमात्मा है , हम तो सिर्फ निमित्त हैं जब जिम्मेवारी का काम आता है तो मैं पन नहीं आना चाहिए सब कुछ परमात्मा को अर्पण कर दें, परमात्मा यह कर्म मुझे अपनी योग्यता अनुसार मिली है। मेरे साथ ऑलमाइटी अथॉरिटी परमपिता परमात्मा साथ है। दीदी जी ने आगे बताया कि, परमपिता परमात्मा प्रशासक है लेकिन वह हमें स्वशासन से सिखाते हैं । स्वशासन में रहने वाला ही अनुशासित रह सकता है जो स्वयं अनुशासन में रहता है। वही दूसरों को भी अनुशासित रख सकता है और वही एक आदर्श प्रशासक बन सकता है।
मैनेजर भूपेंद्र कुमार श्रीवास्तवजी ने कहा कि, परमपिता परमात्मा निराकार होते हुए भी संपूर्ण सृष्टि को चला रहे हैं । गीता में भगवान ने कहा है कि परमात्मा सृष्टि को कर्म योग के द्वारा चला रहे हैं और यह सृष्टि कर्म क्षेत्र है जो जिस प्रकार का कर्म करते हैं उन्हें वैसा ही फल मिलता है। परमात्मा ने अपने प्रशासन में चित्रगुप्त को नियुक्त किया है जो हर एक के अंदर बैठकर उसी के कर्मों का चित्र खींचता है इसीलिए परमात्मा के प्रशासन में ना तो कोई नीच है, ना ही कोई उंच, ना कोई गरीब है, ना अमीर सभी अपने को अपने ही कर्मों का फल मिलता है।
ब्रम्हाकुमारी मंजू बहन ने अपना अनुभव सांझा करते हुए बताया कि, वास्तव में विश्व प्रशासक परमात्मा अपना श्रेष्ठ कार्य किसी को भी माध्यम बनाकर कर लेता है तथा जब उस पर पूर्ण निष्ठा रखकर समर्पित भाव से कार्य करते हैं तो निश्चित रूप से सफलता मिलती है।
प्रोग्राम का आभार पूर्व बैंक मैनेजर एम एल माहेश्वरी जी ने दिया। अंत में 21 फीट हाइट के शिवलिंग की सामूहिक महाआरती से कार्यक्रम को संपन्न किया गया।
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