विक्रम विश्वविद्यालय में हुआ वाग्देवी पूजन एवं महत्त्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन
उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के वाग्देवी भवन में बसन्त पंचमी के अवसर पर माँ वाग्देवी का पूजन किया गया। इस अवसर पर भारतीय साहित्य और संस्कृति में वसंतोत्सव, वाग्देवी और महाप्राण निराला पर केंद्रित महत्त्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय द्वारा वाग्देवी सरस्वती के मूर्तिशिल्प का पूजन किया गया एवं संगोष्ठी की अध्यक्षता की गई। संगोष्ठी के प्रमुख वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा, प्रो प्रेमलता चुटैल, प्रो गीता नायक, डॉ जगदीश चंद्र शर्मा एवं संदीप पांडेय थे।
कला संकायाध्यक्ष प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपरा में बसंत पर्व का अनुपम स्थान है। हमारे साहित्य में वाग्देवी की महिमा कई रूपों में व्यक्त की हुई है। ऋग्वेद में सरस्वती नदी माता और वाग्देवी के रूप में वर्णित है। देवी रूप में वे पवित्रता, शुद्धि, समृद्धि और शक्ति प्रदाता मानी गई हैं। पुराण, साहित्य और लोक में एक ही बसंत ऋतु को अलग-अलग दृष्टिकोण से देखा गया है। यह ऋतु चराचर जगत को समान रूप से आकृष्ट करती है। यह नए विचारों, नई संवेदनाओं और नवजीवन की जाग्रति का अवसर है। कवि पद्माकर, महाप्राण निराला और सुभद्राकुमारी चौहान ने बसन्त की विविधतापूर्ण अभिव्यक्ति की है।
प्रो प्रेमलता चुटैल ने कहा कि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला को महाप्राण कहा जाता है। उनकी अनेक कविताएं इस बात का साक्ष्य देती हैं। वे अपनी कविता कुकुरमुत्ता के माध्यम से सामान्य जन की ओर समान के अभिजात्य वर्ग को चुनौती दिलाते हैं। उनकी सरोज स्मृति अपने ढंग की अनूठी कविता है। निराला ने वाग्देवी की साधना के माध्यम से हिंदी साहित्य जगत को समृद्ध किया।
डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने कहा कि निराला जी की प्रतिभा बहुवस्तु स्पर्शिनी थी। उन्होंने कविता के साथ गद्य रचना के क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान दिया। उनका उपन्यास बिल्लेसुर बकरिहा ग्रामीण समाज के उस रूप का आख्यान है जो अनेक प्रकार की रूढ़ियों और विसंगतियों से जकड़ा है। वे भारतीय ग्रामीण समाज में व्याप्त अशिक्षा, अंधविश्वास, आधारहीन अभिमान और जातीय बंधनों के विरुद्ध अपनी आवाज मुखर करते हैं।
इस अवसर पर प्रो गीता नायक ने भी अपने विचार व्यक्त किए। श्री संदीप पांडेय ने निराला काव्य के विविध आयामों पर केंद्रित शोध पत्र की प्रस्तुति की।
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