Skip to main content

इक्कीसवीं सदी का भारत : उपलब्धि, चुनौतियां और समाधान विषय पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी एवं अवगत अवार्ड 2022 वितरण समारोह रविवार को उज्जैन में


उज्जैन : महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन, अक्षरवार्ता अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका एवं संस्था कृष्ण बसंती द्वारा संयुक्त रूप से दिनांक 27 फरवरी 2022, रविवार को अभिरंग नाट्यगृह, कालिदास अकादमी, उज्जैन में प्रातः काल 10 :30 बजे इक्कीसवीं सदी का भारत : उपलब्धि, चुनौतियां और समाधान (संस्कृति, शिक्षा, साहित्य, चिंतन और समाज के परिप्रेक्ष्य में) विषय पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी सह व्याख्यान का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर अक्षरवार्ता अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका एवं संस्था कृष्ण बसंती द्वारा अवगत अवार्ड 2022 प्रदान किए जाएँगे। यह जानकारी देते हुए डॉ. मोहन बैरागी ने बताया कि इस संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. मोहन यादव, उच्च शिक्षा मंत्री, मप्र शासन, प्रो.नागेश्वर राव, कुलपति, इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, दिल्ली, श्री पारस चंद्र जैन, विधायक, उज्जैन, प्रो. अखिलेश पांडे, कुलपति, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, प्रो. विजय कुमार मेनन, सीजी, कुलपति, महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन एवं प्रो. शैलेंद्रकुमार कुमार शर्मा, कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन होंगे।
उद्धाटन अवसर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर केंद्रित पुस्तक का लोकार्पण अतिथिगण करेंगे। पुस्तक का सम्पादन प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा एवं डॉ मोहन बैरागी ने किया है। इस आयोजन में लगभग दस राज्यों के प्रतिभागी भाग लेने के लिए आ रहे हैं। अक्षरवार्ता शोधपत्रिका तथा संस्था कृष्ण बसंती द्वारा उच्च शिक्षा तथा शोध पर प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्तर पर अवगत अवार्ड दिए जाते हैं। इसी शृंखला में इस वर्ष देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों के प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों को यह अवार्ड दिया जावेगा। तीन सत्रों में आयोजित होने वाले इस समारोह के पहले सत्र में व्याख्यान, दूसरे सत्र में अवगत अवार्ड 2022 प्रदान किए जाएंगे एवं तीसरे सत्र में शोध पत्रों का वाचन होगा।

Comments

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्ट पहलू उजागर

मालवी भाषा और साहित्य : प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

MALVI BHASHA AUR SAHITYA: PROF. SHAILENDRAKUMAR SHARMA पुस्तक समीक्षा: डॉ श्वेता पंड्या Book Review : Dr. Shweta Pandya  मालवी भाषा एवं साहित्य के इतिहास की नई दिशा  लोक भाषा, लोक साहित्य और संस्कृति का मानव सभ्यता के विकास में अप्रतिम योगदान रहा है। भाषा मानव समुदाय में परस्पर सम्पर्क और अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। इसी प्रकार क्षेत्र-विशेष की भाषा एवं बोलियों का अपना महत्त्व होता है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति से जुड़े विशाल वाङ्मय में मालवा प्रदेश, अपनी मालवी भाषा, साहित्य और संस्कृति के कारण महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। यहाँ की भाषा एवं लोक-संस्कृति ने  अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव डालते हुए अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। मालवी भाषा और साहित्य के विशिष्ट विद्वानों में डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। प्रो. शर्मा हिन्दी आलोचना के आधुनिक परिदृश्य के विशिष्ट समीक्षकों में से एक हैं, जिन्होंने हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं के साथ-साथ मालवी भाषा, लोक एवं शिष्ट साहित्य और संस्कृति की परम्परा को आलोचित - विवेचित करने का महत्त्वपूर्ण एवं सार्थक प्रयास किया है। उनकी साहित्य

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं द