उज्जैन। आयुष विभाग द्वारा चयनित ग्राम मोजमखेड़ी में 12 फरवरी को मेगा रोग चिकित्सा शिविर का आयोजन किया जाएगा। आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी भैरवगढ़ डॉ. श्वेता गुजराती, ने बताया कि शा.स्व. धन्वन्तरि आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. जे.पी. चौरसिया एवं जिला आयुष अधिकारी डॉ. मनीषा पाठक के निर्देशन में आयोजित शिविर में चर्मरोग विशेषज्ञ एवं व्याख्याता शा. धन्वन्तरि आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय उज्जैन डॉ. प्रकाश जोशी (एमडी) द्वारा चर्म रोग के रोगियों की जांच एवं चिकित्सा की जाएगी।
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ | Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी - आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं। उनके उपन्यास और कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं। उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है। मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...
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