संगोष्ठी के प्रस्तावक डॉ. प्रभु चौघरी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि ‘‘हमारे सामने यही एक महान आदर्श है और हर एक को इसके लिए तैयार रहना चाहिए-वह आदर्श है-भारत की विश्व पर विजय। उससे छोटा कोई आदर्श न चलेगा। हम सभी को इसके लिए तैयार रहना चाहिए और इसे प्राप्त करने का पूरा प्रयास करना चाहिए। ............... उठो भारत, तुम अपनी आध्यात्मिकता द्वारा जगत पर विजय प्राप्त करो।‘‘
मुख्य अतिथि श्री ब्रजकिशोर शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि स्वामी विवेकानन्द का आदर्श था, ‘विश्व विजयी भारत।‘ उन्होंने अपनी ओजस्वी वाणी में कहा था -‘अब इंग्लैण्ड, यूरोप और अमेरिका पर विजय पाना, यही हमारा महाव्रत होना चाहिए। इसी से देश का भला होगा। विस्तार ही जीवन का केन्द्र है। हमें सारी दुनिया में अपने आध्यात्मिक विचारों का प्रचार करना ही होगा।‘ वे बार-बार कहते थे, कायरता छोड़ो। निद्रा त्यागो। यह वीर भोग्या वसुन्धरा है। वीर बनो। याद रखो - ‘हमें सम्पूर्ण संसार जीतना है।
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के 175वीं आभासी संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. बालासाहेब तोरस्कर ने की। विशेष अतिथि डॉ. अनसूया अग्रवाल, डॉ. जया आनंद, डॉ. संध्या भोई, डॉ. अनुराधा सिंह, श्री हरेराम वाजपेयी, डॉ. शहाबुद्दीन शेख आदि ने एवं संगोष्ठी की मुख्य वक्ता सुवर्णा जाधव रहे। संगोष्ठी का संचालन डॉ. रश्मि चौबे एवं आभार भुवनेश्वरी जायसवाल ने माना।
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