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वैश्विक पटल पर खुल रहे हैं हिंदी की नवीन संभावनाओं के द्वार

विश्व हिंदी दिवस पर विशिष्ट परिसंवाद एवं हिंदी और सामान्य ज्ञान स्पर्धा का आयोजन सम्पन्न

उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय की हिंदी अध्ययनशाला, पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला तथा गांधी अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर वैश्विक पटल पर हिंदी की नवीन संभावनाएँ पर केंद्रित विशिष्ट परिसंवाद का आयोजन किया गया। वाग्देवी भवन स्थित सभागार में आयोजित परिसंवाद के मुख्य अतिथि कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक थे। कार्यक्रम में हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा, प्रोफेसर गीता नायक, डॉक्टर जगदीश चंद्र शर्मा, डॉ प्रतिष्ठा शर्मा आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।


परिसंवाद को संबोधित करते हुए कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक ने कहा कि हिंदी वर्तमान में भारत की राजभाषा के साथ विश्व भाषा के रूप में निरंतर प्रगति कर रही है। हिंदी के प्रयोग और प्रसार को लेकर व्यापक जन जागृति के प्रयास करने होंगे। हम हिंदी की शक्तियों को पहचान कर उसकी प्रगति के लिए आगे आएं। प्रत्येक विद्यार्थी और शोधार्थी हिंदी के सही प्रयोग के लिए सजग हो।

प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि वर्तमान विश्व में पन्द्रह प्रतिशत से अधिक संप्रेषण हिंदी के माध्यम से हो रहा है। विश्व पटल पर हिंदी सही अर्थों में भारतीय संस्कृति के विराट और समावेशी स्वरूप की संवाहिका है। चाहे पर्यटन हो या मनोरंजन हो, परस्पर सम्पर्क हो, या व्यापार-व्यवसाय, इन सभी दृष्टियों से हिंदी दुनिया के सामने प्रवेश द्वार खोलती है। वर्तमान परिदृश्य में हिंदी विश्व की जो स्थिति बन चुकी है, उसे और अधिक मजबूती देने की जरूरत है। भारतीय संविधान की आत्मा में हिंदी और भारतीय भाषाएँ बसी हुई हैं। इन सब को समन्वित रूप में लेने की जरूरत है। प्रो गीता नायक ने कहा कि हिंदी के विकास की असीम संभावनाएं हैं। वर्तमान दौर में हिंदी के प्रसार के मार्ग में कई चुनौतियां भी हैं। भारतीय भाषाओं के बीच परस्पर सद्भावना को सुदृढ़ करना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है। सर्वोच्च न्यायालय में हिंदी और अन्य भाषाओं के माध्यम से निर्णय प्राप्त हों, इस दिशा में अनुवादकों की मदद ली जाएगी।
डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने कहा कि हिंदी विश्व भाषा बन चुकी है। हमें सभी क्षेत्रों में हिंदी के अधिक से अधिक प्रयोग के लिए संकल्पबद्ध होना होगा। उच्चारण और वर्तनी की त्रुटियों से मुक्त होने की कोशिश बाल्यावस्था से ही करनी होगी।
डॉ प्रतिष्ठा शर्मा ने कहा कि हमारे सपनों की भाषा है। हिंदी के प्रयोग प्रसार के लिए नया वातावरण विकसित हो रहा है।
इस अवसर पर बैंक ऑफ बड़ौदा, क्षेत्रीय कार्यालय, रतलाम के सौजन्य से विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा हिंदी और सामान्य ज्ञान स्पर्धा का आयोजन किया गया, जिसमें विक्रम परिक्षेत्र के सैकड़ों विद्यार्थियों ने भाग लिया।
परिसंवाद के अवसर पर डॉ सुशील शर्मा, डॉ अजय शर्मा, डॉ द्वारिका हरदेनिया आदि सहित अनेक शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन श्रीमती हीना तिवारी ने किया।

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