Skip to main content

कोविड 19 प्रबंधन के लिए आपदा जोखिम न्यूनीकरण, लचीलापन और एहतियाती उपाय पर कार्यशाला सम्पन्न

 


उज्जैन : आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए माननीय प्रधान मंत्री के एजेंडे के अनुसार राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) आईयूएनआईडीआरआर योजना के माध्यम से आपदा प्रबंध गतिविधियों के लिए विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों को जोड़ रहा है। पूरे भारत में एक बड़ा नेटवर्क प्रक्रिया में है। उपरोक्त योजना के तहत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम), गृह मंत्रालय, भारत सरकार एवं विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.) द्वारा संयुक्त रूप से कोविड 19 प्रबंधन के लिए आपदा जोखिम न्यूनीकरण, लचीलापन और एहतियाती उपाय पर तीन दिवसीय (19-21, जनवरी 2022) ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के संरक्षक मेजर जनरल एम.के. बिंदल, कार्यकारी निदेशक, एनआईडीएम और प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डे, कुलपति, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. सूर्य प्रकाश (एनआईडीएम) ने की। कार्यशाला में मुख्य वक्ता थे, प्रो. सरन सिंह, पूर्व निदेषक, एम्स, भोपाल, डॉ. डी. श्रीनागेश, सेवानिवृत्त, मुख्य वैज्ञानिक, एनजीआरआई हैदराबाद, प्रो. पी.के. वर्मा, विक्रम विश्वविद्यालय, प्रो. ज्योति सरूप, मैनिट, भोपाल, श्री अभिनव शुक्ला, वैज्ञानिक, एनआरएससी, हैदराबाद, श्री अनिल कथैट, एनआईडीएम, श्री डी. हरिहर कुमार, एनआईडीएम और प्रो. डी.एम.कुमावत, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन। कार्यशाला के संयोजक डॉ. ए.एल. हलधर, एनआईडीएम थे। वक्ताओं ने प्रतिभागियों के साथ आपदा निगरानी, प्रेक्षणों, चेतावनियों, तैयारी, सतर्कता, शमन उपायों, पुनर्वास आदि के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी साझा की। आधुनिक तकनीक और उपकरण जैसे रिमोट सेंसिंग, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, जीआईएस आदि का भविष्यवाणी और भविष्यवाणी में प्रभावी ढ़ंग से उपयोग कैसे किया जा सकता है पर विस्तृत चर्चा की। ओमीक्रोन और अन्य कोविड 19 म्यूटेंट उनके फैलाव, सतर्कता और एहतियाती उपाय, भूस्खलन जोखिम में कमी और लचीलापन, भूकंप के खतरे, बाढ़, आंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और कोविड प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन और अगली पीढ़ी के लिए षिक्षा, जलवायु डीडीआर आदि विषयों पर चर्चा की गई। प्रत्येक तकनीकी सत्र के बाद एक प्रश्न-उत्तर सत्र रख गया जिसमें विभिन्न प्रासंगिक प्रश्नों का उपयुक्त उत्तर दिया गया। इस सफल प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन 21 जनवरी 2022 का औपचारिक समापन समारोह के साथ हुआ, जिसे प्रो. पी.के. वर्मा ने संबोधित किया।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं