लॉकडाउन कोविड-19 संकट के दौर में दुनिया की किसी भी भाषा में प्रकाशित प्रथम काव्य कृति है - प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा
काव्य संग्रह 'लॉकडाउन' के पंजाबी और मराठी में अनूदित संस्करण का हुआ लोकार्पण और अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन
वरिष्ठ कवि एवं अनुवादक श्री सुरेशचन्द्र शुक्ल की काव्य कृति लॉकडाउन के मराठी और पंजाबी में अनूदित संस्करण का लोकार्पण प्रसिद्ध प्रो. समालोचक एवं विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा और प्रवासी साहित्य के समालोचक डॉ. दीपक पाण्डेय ने ओस्लो,नार्वे से आयोजित ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में किया। श्री शुक्ल की चर्चित कृति लॉकडाउन का मराठी में अनुवाद सुवर्णा जाधव, पुणे और पंजाबी अनुवाद प्रो. विनोद कालरा, जालन्धर ने किया है।
पुस्तक लॉकडाउन पर प्रकाश डालते हुए मुख्य अतिथि प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि सुरेशचन्द्र शुक्ल की काव्य कृति लॉकडाउन कोरोना संकटकाल में प्रकाशित दुनिया की किसी भी भाषा में प्रकाशित पहली साहित्यिक पुस्तक होने के साथ मानवीय सरोकारों को व्यक्त करने वाली कालजयी रचना है।
यूरोप के प्रसिद्ध भाषाविद प्रो. मोहन कान्त गौतम, नीदरलैंड ने लॉकडाउन के पंजाबी और मराठी अनुवाद का स्वागत करते हुए कहा कि इसका अनुवाद विदेशी भाषाओं में भी होना चाहिये।
सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ौदा की प्रो. कल्पना गवली ने कहा कि मराठी अनुवाद भी हिन्दी की तरह बहुत अच्छा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. हरनेक सिंह गिल ने पुस्तक को संग्रहणीय बताते हुए कहा कि समसामयिक पुस्तकों में सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' की लॉकडाउन का स्थान सर्वोपरि है, क्योंकि इसमें यथार्थ है और मानवतावादी गाँधी विचारधारा से ओतप्रोत है।
कामता कमलेश ने पुस्तक को विदेशों में लिखे जा रहे साहित्य में महत्वपूर्ण दस्तावेज बताया।
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर की कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' एक जागरूक साहित्यकार हैं, जिनके साहित्य में भारत बसा हुआ है।
इस कृति और अनुवाद के लिए शुभकामनाएं देने वालों में नार्वे में भारतीय दूतावास के सचिव इन्दर जीत सिंह, स्वीडेन में वी बी आर आई के निदेशक प्रो. आशुतोष तिवारी, डेनमार्क से चिरंजीवी देशबंधु, जर्मनी से समता मलहोत्रा, भारत से सत्यवती कालेज के प्रो. आशुतोष तिवारी, डॉ. हरिसिंह पॉल, प्रो. हाशमबेग मिर्जा, ब्रह्मदत्त, प्रो. मोहसिन खान, प्रो. अनिल सिंह और प्रो. विनोद कालरा के अलावा लॉकडाउन के प्रकाशक मुम्बई से राम कुमार और पटियाला से संजय राजपाल थे तथा हैदराबाद के याद मोहम्मद यादुल्ला एवं नवोदित प्रवाह के संपादक रजनीश त्रिवेदी ने भी शुभकामनायें दीं।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रमिला कौशिक की वाणी वन्दना से हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो हरनेक सिंह गिल ने की थी।
कार्यक्रम का सफल संचालन किया 'लॉकडाउन' का मराठी में अनुवाद करने वाली साहित्यकार सुवर्णा जाधव, पुणे ने।
अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में भारत से कविता पाठ करने वालों में डॉ. हरनेक सिंह गिल, डॉ. हरिसिंह पाल, प्रो. गंगा प्रसाद शर्मा गुणशेखर, ममता कुमारी, इलाबेन, प्रमिला और अशोक कौशिक दिल्ली, इलाश्री जायसवाल नोएडा, डॉ. रश्मि चौबे गाजियाबाद, सुनील जाधव नादेड़, प्रो. गंगा प्रसाद शर्मा गुणशेखर सूरत थे।
लखनऊ से कविता पाठ करने वालों में डॉ. मंजू शुक्ला और डॉ. करुणा पाण्डेय थे।
विदेश से काव्य पाठ करने वालों में अमेरिका से डॉ. राम बाबू गौतम, बबिता श्रीवास्तव और अशोक सिंह, कनाडा से नीरजा शुक्ला, गोपाल बघेल मधु, ब्रिटेन से जय वर्मा, स्वीडेन से सुरेश पाण्डेय, और नार्वे से गुरु शर्मा और सुरेशचन्द्र शुक्ल शरद आलोक थे। सुधी साहित्यप्रेमी यू ट्यूब पर इस लोकार्पण कार्यक्रम और कवि सम्मेलन का आनन्द ले सकते हैं।
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