उज्जैन। कोरोना काल में आयुर्वेद की एक विशिष्ट भूमिका रही। हर घर में आयुर्वेद की चिकित्सा के माध्यम से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का कार्य किया। अदरक, काली मिर्च, दालचीनी एवं तुलसी का काढ़ा, गिलोय वटी, हल्दी का दूध, च्यवनप्राश, अश्वगंधा, मुलेठी आदि औषधियों का प्रयोग हर घर में प्रयोग हुआ। भारत सरकार द्वारा भी कोरोना के नियंत्रण में आयुष 64 औषधि विशेषकर कारगर सिद्ध हुई।
यह बात नई दिल्ली ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद के डीन पीएचडी व विभागाध्यक्ष संहिता विभाग प्रोफेसर डॉ. महेश व्यास ने शासकीय धन्वन्तरि चिकित्सा महाविद्यालय में स्नातक व स्नातकोत्तर छात्रों के ज्ञानवर्धन हेतु आयोजित व्याख्यानमाला के अंतर्गत मोटीवेशनल स्पीच के दौरान कही। डॉ. व्यास ने कहा आने वाला समय आयुर्वेद के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए आपने बताया कि दुनिया के 19 देशों में आयुर्वेद की चेयर स्थापित हो चुकी है, जिनमें कई गंभीर बीमारियों पर निरंतर शोध चल रहा है। प्रारंभिक परिणामों पर जाएं तो आयुर्वेद महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।
डॉ. व्यास ने अपनी मातृ संस्था के विकसित स्वरूप को देख कर हर्ष व्यक्त किया तथा आश्वासन दिया कि महाविद्यालय को राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान बनाए जाने हेतु हर संभव सहयोग करेंगे। शासकीय धन्वन्तरि चिकित्सा महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. जे. पी. चौरसिया ने बताया कि इस दौरान वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. ओ.पी. व्यास, डॉ. सिद्धेश्वर सतुआ, डॉ. अजय कीर्ति जैन मंच पर उपस्थित थे। इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण, कर्मचारी व यू.जी. एवं पी.जी. छात्र उपस्थित रहे। संचालन डॉ. शिरोमणि मिश्रा ने किया। आभार डॉ. नृपेन्द्र मिश्रा ने माना। जानकारी संस्था के मीडिया प्रभारी डॉ. प्रकाश जोशी ने दी।
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