Skip to main content

भाजपा का त्रि दिवसीय जिला प्रशिक्षण वर्ग सम्पन्न

मोदी के नेतृत्व में देश प्रदेश में हमारी सरकारें एकात्म मानव दर्शन के आधार पर अंतिम छोर के व्यक्ति के विकास के लिए काम कर रही है - विजय दुबे


उज्जैन : भारतीय जनता पार्टी द्वारा नगर अध्यक्ष श्री विवेक जोशी के नेतृत्व में आयोजित त्रि दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन स्थानीय तपोभूमि में चल रहा था । जिसका समापन सोमवार को सम्पन्न हुआ । प्रशिक्षण वर्ग के दौरान 200 से अधिक कार्यकर्ताओं पदाधिकारियों ने एक प्रशिक्षु के रूप प्रशिक्षण प्राप्त किया । इन तीन दिनों में 15 विभिन्न विषयों पर वक्ताओं  ने प्रशिक्षण व मार्गदर्शन दिया ।
सह मीडिया प्रभारी दिनेश जाटवा के अनुसार समापन सत्र को प्रशिक्षण वर्ग के प्रदेश प्रभारी श्री विजय दुबे ने भारत की विचारधारा हमारी विचारधारा विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि हमारे देश की संस्कृति और विचारधारा का ही प्रभाव है कि 12 वर्ष का बालक केरल से निकल कर 2200 किमी की यात्रा कर ओम्कारेश्वर आता है और मात्र 32 वर्ष के अपने जीवनकाल में विश्व का मार्गदर्शन करता है और आदि गुरु शंकराचार्य के नाम से पहचाना जाता है ।  

श्री दुबे ने कहा कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से ही भारत , भारत है , आज ये हमारा देश ही है जहां सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया के भाव से प्रत्येक जीव की चिंता की जाती है यही हमारी विचारधारा है जो कि विश्व मे भारत को एक अलग पहचान देती है । उन्होंने कहा कि भारत की मुख्य विचारधारा ही भाजपा की विचारधारा है। हमने सदैव राष्ट्र को प्रथम दल को द्वितीय और स्वयं को तृतीय स्थान पर रखा है। भारत की आजादी के बाद देश की अखंडता और एकता के लिए सबसे पहला बलिदान जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने दिया है। हम सदैव सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की विचारधारा को सर्वोच्च स्थान पर रखकर आगे बढ़े हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानववाद के रूप में जो दर्शन दिया है वह समूचे विश्व में सर्वश्रेष्ठ दर्शन है। पूंजीवाद समाजवाद साम्यवाद जैसे दर्शन समूचे विश्व मैं लुप्त प्राय हैं। कांग्रेसी जमाने की मिश्रित अर्थव्यवस्था को भी लोगों ने नकार दिया है। आज मोदी के नेतृत्व में देश प्रदेश की हमारी सरकारें एकात्म मानव दर्शन के आधार पर अंतिम छोर के व्यक्ति के विकास के लिए काम कर रही है। हमारी सारी योजनाएं एकात्म मानववाद के दर्शन से होकर निकलती है और इसी के जरिए हम राष्ट्र के कल्याण का काम कर रहे हैं।


प्रदेश प्रवक्ता सुश्री नेहा बग्गा ने मीडिया के व्यवहार एवम उपयोग सत्र की अध्यक्षता पूर्व महापौर श्रीमती मीना जोनवाल ने की सुश्री नेहा बग्गा ने विषय प्रतिपादन करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्येक कार्यकर्ता हमेशा एक प्रवक्ता की भूमिका में ही रहता है क्योंकि वो सतत अपने संगठन की रीति नीति संगठन की विचारधारा एवं किये गए कार्यों का प्रचार प्रसार निचले स्तर तक करता है । सुश्री बग्गा ने कहा कि सोशल मीडिया ने आज मीडिया पर निर्भरता को निश्चित रूप से कम अवश्य किया है परंतु मीडिया का प्रभाव आज भी उसी प्रकार विद्यमान है । 

द्वितीय सत्र वरिष्ठ नेता श्री विजेन्द्रसिंह सिसोदिया ने व्यक्तित्व विकास विषय पर कार्यकर्ताओं को संबोधित किया सत्र की अध्यक्षता श्रीमती कलावती यादव ने की । तृतीय व समापन सत्र को प्रशिक्षण वर्ग के प्रदेश प्रभारी श्री विजय दुबे ने भारत की मुख्य विचारधारा हमारी विचारधारा विषय पर संबोधित किया सत्र की अध्यक्षता श्री इकबाल सिंह गांधी ने की । वर्ग में नगर अध्यक्ष विवेक जोशी, प्रदेश सह कोषाध्यक्ष श्री अनिल जैन कालुहेड़ा, प्रदेश प्रवक्ता श्री सनवर पटेल, प्रदेश सह मीडिया प्रभारी श्री सचिन सक्सेना, पूर्व विधायक श्री राजेन्द्र भारती, श्री जगदीश अग्रवाल, श्री सोनू गेहलोद, श्री वीरेन्द्र कावड़िया, अमित श्रीवास्तव, ओम अग्रवाल, संजय अग्रवाल, बुद्धिविलास उपाध्याय, श्री विशाल राजोरिया, अनिल शिंदे सहित कार्यकर्ता पदाधिकारी उपस्थित थे । वर्ग का संचालन श्री सुरेश गिरी ने किया ।

Comments

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्ट पहलू उजागर

मालवी भाषा और साहित्य : प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

MALVI BHASHA AUR SAHITYA: PROF. SHAILENDRAKUMAR SHARMA पुस्तक समीक्षा: डॉ श्वेता पंड्या Book Review : Dr. Shweta Pandya  मालवी भाषा एवं साहित्य के इतिहास की नई दिशा  लोक भाषा, लोक साहित्य और संस्कृति का मानव सभ्यता के विकास में अप्रतिम योगदान रहा है। भाषा मानव समुदाय में परस्पर सम्पर्क और अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। इसी प्रकार क्षेत्र-विशेष की भाषा एवं बोलियों का अपना महत्त्व होता है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति से जुड़े विशाल वाङ्मय में मालवा प्रदेश, अपनी मालवी भाषा, साहित्य और संस्कृति के कारण महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। यहाँ की भाषा एवं लोक-संस्कृति ने  अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव डालते हुए अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। मालवी भाषा और साहित्य के विशिष्ट विद्वानों में डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। प्रो. शर्मा हिन्दी आलोचना के आधुनिक परिदृश्य के विशिष्ट समीक्षकों में से एक हैं, जिन्होंने हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं के साथ-साथ मालवी भाषा, लोक एवं शिष्ट साहित्य और संस्कृति की परम्परा को आलोचित - विवेचित करने का महत्त्वपूर्ण एवं सार्थक प्रयास किया है। उनकी साहित्य

हिंदी कथा साहित्य / संपादक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा

हिंदी कथा साहित्य की भूमिका और संपादकीय के अंश : किस्से - कहानियों, कथा - गाथाओं के प्रति मनुष्य की रुचि सहस्राब्दियों पूर्व से रही है, लेकिन उपन्यास या नॉवेल और कहानी या शार्ट स्टोरी के रूप में इनका विकास पिछली दो सदियों की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। हिंदी में नए रूप में कहानी एवं उपन्यास  विधा का आविर्भाव बीसवीं शताब्दी में हुआ है। वैसे संस्कृत का कथा - साहित्य अखिल विश्व के कथा - साहित्य का जन्मदाता माना जाता है। लोक एवं जनजातीय साहित्य में कथा – वार्ता की सुदीर्घ परम्परा रही है। इधर आधुनिक हिन्दी कथा साहित्य का विकास संस्कृत - कथा - साहित्य अथवा लोक एवं जनजातीय कथाओं की समृद्ध परम्परा से न होकर, पाश्चात्य कथा साहित्य, विशेषतया अंग्रेजी साहित्य के प्रभाव रूप में हुआ है।  कहानी कथा - साहित्य का एक अन्यतम भेद और उपन्यास से अधिक लोकप्रिय साहित्य रूप है। मनुष्य के जन्म के साथ ही साथ कहानी का भी जन्म हुआ और कहानी कहना - सुनना मानव का स्वभाव बन गया। सभी प्रकार के समुदायों में कहानियाँ पाई जाती हैं। हमारे देश में तो कहानियों की सुदीर्घ और समृद्ध परंपरा रही है। वेद - उपनिषदों में वर्णित यम-यम