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गीता जयंती आयोजन : पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान (एमबीए डिपार्टमेंट) विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में सम्पन्न

उज्जैन । "कॉर्पोरेट चुनौतियों से मुकाबले के लिए वर्तमान समय में शैक्षणिक संस्थानों को आध्यात्मिक अध्ययन एवं गहन चिंतन की नितांत आवश्यकता है" - उपरोक्त उद्गार सीए प्रो. (डॉ.) दीपक गुप्ता निदेशक, पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान (एमबीए डिपार्टमेंट) विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने  5158वी गीता जयंती के विशेष अवसर पर विगत दिवस संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन में व्यक्त किये। प्रोफेसर गुप्ता ने अपनी विशिष्ट शैली में विद्यार्थियों से आव्हान किया कि, व्यवसायिक संगठनों में उभरतीं हुई नित नवीनतम एवं विद्यार्थियों की दैनन्दिन जीवन की समस्याओं के निराकरण हेतु भी  गीता जैसे प्राचीनतम ग्रन्थों के सूत्रों के माध्यम से नई पीढ़ी को मानसिक रूप से स्वयं को सशक्त बनना ही होगा। 

आपने अपने व्याख्यान का समापन श्री हरिगीता जी से संबंधित रोचक संगीतमय  भजन  से  किया । आपकी इस स्वरमयी प्रस्तुति की उपस्थित सभी श्रोताओं द्वारा सराहना की गयी।

संस्थान के संकाय सदस्य डॉ. धर्मेन्द्र मेहता ने आयोजन की रूपरेखा को प्रस्तुत करते हुए प्रबंधन के विद्यार्थियों को गीता जी के समस्त 700 श्लोकों के एवं समस्त  18 अध्यायों के पठन महत्व के साथ, 16वे अध्याय के श्लोकों तथा सूत्रों जीवंत उदाहरणों के माध्यम से रेखांकित किया कि, गीताजी पौराणिक सभी ग्रंथो में सबसे सम्मानित ग्रंथ है। यह ज्ञान परम्परा एवं संस्कृति की आधारशिला है। गीताजी में सम्पूर्ण वेदों का सार है।  

संस्थान के संकाय डॉ. डी. डी. बेदिया ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उपस्थित विद्यार्थियों को कहा कि, गीता की दी हुई सीख जातियो व प्रांत से परे सम्पूर्ण मानव जाति का मार्गदर्शन करती है।

संस्थान की स्टाफ अधीक्षक डॉ. सन्ध्या सक्सेना ने भी व्यक्तित्त्व विकास के अनेक आयामों को बताते हुए, ऐसे आध्यात्मिक प्रयासों के माध्यम से जोड़ने की नवीन परंपरा पर हर्ष व्यक्त करते हुए, ऐसे और नवाचार के कार्यक्रमों पर जोर देते हुए, संस्थान के निदेशक प्रो.(डॉ.) दीपक गुप्ता एवं सूत्रधार डॉ. धर्मेन्द्र मेहता को व्याख्यान आयोजन की बधाई दी एवं कार्पोरेट क्षेत्र में श्रीमद्भागवत गीता जी के सूत्रों को स्वीकार करने के सद्प्रयास में अपनी हरसंभव सहभगिता के दृढ़ संकल्प को व्यक्त किया।

कार्यक्रम के अंत में डॉ. नयनतारा डामोर ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

इस अनूठे प्रबन्धकीय सूत्रों से ओतप्रोत आध्यात्मिक एवं शैक्षणिक आयोजन में संस्थान के शिक्षक गणों, कर्मचारीगण एवं विद्यार्थियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। 

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