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विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन एवं भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के मध्य हुआ महत्त्वपूर्ण एम.ओ.यू.

उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन एवं भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (आई.सी.ए.आर.) इन्दौर के मध्य एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर किए गए। इन दोनों संस्थानों के मध्य एमओयू का उद्देश्य विश्वविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को शोधपरक ज्ञान का आदान -प्रदान करना तथा प्रयोगशालाओं में अनुसंधान कार्य की सुविधा उपलब्ध कराने का है। 

मध्यप्रदेश में सोयाबीन ख़रीफ़ की एक प्रमुख फसल है, जिसकी खेती 53 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है। देश में सोयाबीन उत्पादन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश का मालवा क्षेत्र अग्रणी है। अकेले मालवा के जलवायु क्षेत्र में सोयाबीन का क्षेत्रफल लगभग 22 से 25 लाख हेक्टर आच्छादित है। इससे स्पष्ट है कि प्रदेश में सोयाबीन का भविष्य इसी क्षेत्र द्वारा नियंत्रित होगा। विक्रम विश्वविद्यालय से अध्ययनरत अधिकांश छात्र ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं जिनका कृषि एक प्रमुख व्यवसाय है। अत: किसानों के आय को बढ़ाने के उद्देश्य से अनुसंधानपरक जानकारी द्वारा कृषि उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। विश्वविद्यालय में अध्ययनरत जीव विज्ञान संकाय एवं कृषि विज्ञान संकाय के छात्रों को उत्कृष्ट प्रयोगशालाओं में कार्य करने के अवसर तथा अनुसंधानपरक नवीन जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से विक्रम विश्वविद्यालय तथा भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के मध्य एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर माधव भवन उज्जैन में प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय, कुलपति, विक्रम विश्वविद्यालय तथा डा. नीता खाण्डेकर निदेशक, सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इन्दौर द्वारा किया गया।

इस अवसर पर डा. नीता खाण्डेकर, इंदौर ने अपने व्याख्यान कहा कि भारत में युवा पीढ़ी का रुझान कृषि की ओर बढ़ रहा है, कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं। अत: हमारे युवाओं को रोजगार सृजन करने वाला बनना चाहिए, रोजगार मांगने वाला नहीं।

अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय ने कहा  कि सोयाबीन उत्पादन से किसानों की आर्थिक प्रगति होगी। सोयाबीन में उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन पाए जाते है।  इसके द्वारा कई खाद्य पदार्थ जैसे बिस्किट, चाकलेट, बड़ी, सोया दूध, सोया पेड़ा, सोया हलवा आदि का उत्पादन किया जाता है। इसके भूसे द्वारा फर्नीचर एवं ईंट का निर्माण किया जा सकता है, वहीं सोयाबीन भूसा तथा कचरा का उपयोग मशरूम उत्पादन के लिए  किया जाता है।          

आयोजन की पीठिका प्रस्तुत करते हुए प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा,  कुलानुशासक विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने कहा कि मालवा क्षेत्र में लगभग 22 जिलों के किसान सोयाबीन उत्पादन के कारण आर्थिक प्रगति की ओर अग्रसर हैं। कार्यक्रम के एम.ओ.यू. की रूप रेखा तैयार करने में प्रो. एच.पी.सिंह आचार्य, सांख्यिकी अध्ययनशाला ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा अतिथियों का परिचय दिया। 

कार्यक्रम का संचालन प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा,  कुलानुशासक ने किया। आभार प्रदर्शन डा. राजेश टेलर विभागाध्यक्ष, कृषि अध्ययनशाला द्वारा किया गया। कार्यक्रम के संयोजक सचिव डा.अरविंद शुक्ल एवं डा.शिवी मसीन थे। उक्त अवसर पर भारतीय सोयाबीन संस्थान से डा. लक्ष्मण सिंह,  डा.  शिवा एवं विक्रम विश्वविद्यालय से प्रो. प्रेमलता चुटैल, प्रो अलका व्यास, प्रो. एस. के . मिश्रा,  डा. संदीप तिवारी,  प्रो. तेजप्रकाश व्यास, डा. प्रीति दास,  डा. सलिल सिंह, डा. चित्रलेखा कडेल, डा. पराग दलाल,  डा. जगदीश शर्मा,  डा. मुकेश वाणी, डा. स्मिता सोलंकी, डा. गरिमा शर्मा, कुमारी कंचन थूल, जीव विज्ञान संकाय एवं कृषि विज्ञान संकाय के विद्यार्थी एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे।

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