Skip to main content

कोविड-19 अपडेट, राज्यों में ओमिक्रोन वेरिएंट के मामले, पिछले 24 घंटों में 16,764 नए रोगी सामने आए

31 DEC 2021 | Delhi

  • राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक 144.54 करोड़ कोविड रोधी टीके लगाए जा चुके हैं
  • भारत में वर्तमान में 91,361 सक्रिय मामले
  • सक्रिय मामले कुल मामलों के प्रतिशत से कम हैं,वर्तमान में 0.26 प्रतिशत
  • स्वस्थ होने की दर वर्तमान में 98.36 प्रतिशत
  • पिछले 24 घंटों के दौरान 7,585 रोगी स्वस्थ हुएदेश भर में अभी तक कुल 3,42,66,363 मरीज स्वस्थ हुए
  • बीते चौबीस घंटे के दौरान 16,764 नए मामले सामने आए
  • दैनिक पॉजिटिविटी दर 1.34 प्रतिशत है,पिछले 88 दिनों से 2 प्रतिशत से कम
  • साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर वर्तमान में 0.89 प्रतिशत हैपिछले 47 दिनों से 1 प्रतिशत से कम है
  • अभी तक कुल 67.78 करोड़ जांचें की जा चुकी हैं

राज्यों में ओमिक्रोन वेरिएंट के मामले


राष्ट्रव्यापी कोविड टीकाकरण के तहत अब तक 144.54 करोड़ से अधिक टीके लगाए जा चुके हैं

बीते चौबीस घंटों में 66 लाख से अधिक टीके लगाए गए

स्वस्थ होने की वर्तमान दर 98.36 प्रतिशत

पिछले 24 घंटों में 16,764 नए रोगी सामने आए

भारत में सक्रिय मरीजों की संख्या 91,361 है

साप्ताहिक सक्रिय मामलों की दर (0.89 प्रतिशत), बीते 47 दिनों से 1 प्रतिशत से कम

31 DEC 2021 | Delhi

पिछले 24 घंटों में 66,65,290 वैक्सीन की खुराक देने के साथ ही भारत का कोविड-19 टीकाकरण कवरेज आजसुबह 7 बजे तक अंतिम रिपोर्ट के अनुसार 144.54 करोड़ (1,44,54,16,714) से अधिक हो गया।इस उपलब्धि को 1,54,27,550 टीकाकरण सत्रों के जरिये प्राप्त किया गया है।

आज सुबह 7 बजे तक की अस्थायी रिपोर्ट के अनुसार कुल टीकाकरण का विवरण इस प्रकार से है:






Comments

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्ट पहलू उजागर

मालवी भाषा और साहित्य : प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

MALVI BHASHA AUR SAHITYA: PROF. SHAILENDRAKUMAR SHARMA पुस्तक समीक्षा: डॉ श्वेता पंड्या Book Review : Dr. Shweta Pandya  मालवी भाषा एवं साहित्य के इतिहास की नई दिशा  लोक भाषा, लोक साहित्य और संस्कृति का मानव सभ्यता के विकास में अप्रतिम योगदान रहा है। भाषा मानव समुदाय में परस्पर सम्पर्क और अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। इसी प्रकार क्षेत्र-विशेष की भाषा एवं बोलियों का अपना महत्त्व होता है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति से जुड़े विशाल वाङ्मय में मालवा प्रदेश, अपनी मालवी भाषा, साहित्य और संस्कृति के कारण महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। यहाँ की भाषा एवं लोक-संस्कृति ने  अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव डालते हुए अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। मालवी भाषा और साहित्य के विशिष्ट विद्वानों में डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। प्रो. शर्मा हिन्दी आलोचना के आधुनिक परिदृश्य के विशिष्ट समीक्षकों में से एक हैं, जिन्होंने हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं के साथ-साथ मालवी भाषा, लोक एवं शिष्ट साहित्य और संस्कृति की परम्परा को आलोचित - विवेचित करने का महत्त्वपूर्ण एवं सार्थक प्रयास किया है। उनकी साहित्य

हिंदी कथा साहित्य / संपादक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा

हिंदी कथा साहित्य की भूमिका और संपादकीय के अंश : किस्से - कहानियों, कथा - गाथाओं के प्रति मनुष्य की रुचि सहस्राब्दियों पूर्व से रही है, लेकिन उपन्यास या नॉवेल और कहानी या शार्ट स्टोरी के रूप में इनका विकास पिछली दो सदियों की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। हिंदी में नए रूप में कहानी एवं उपन्यास  विधा का आविर्भाव बीसवीं शताब्दी में हुआ है। वैसे संस्कृत का कथा - साहित्य अखिल विश्व के कथा - साहित्य का जन्मदाता माना जाता है। लोक एवं जनजातीय साहित्य में कथा – वार्ता की सुदीर्घ परम्परा रही है। इधर आधुनिक हिन्दी कथा साहित्य का विकास संस्कृत - कथा - साहित्य अथवा लोक एवं जनजातीय कथाओं की समृद्ध परम्परा से न होकर, पाश्चात्य कथा साहित्य, विशेषतया अंग्रेजी साहित्य के प्रभाव रूप में हुआ है।  कहानी कथा - साहित्य का एक अन्यतम भेद और उपन्यास से अधिक लोकप्रिय साहित्य रूप है। मनुष्य के जन्म के साथ ही साथ कहानी का भी जन्म हुआ और कहानी कहना - सुनना मानव का स्वभाव बन गया। सभी प्रकार के समुदायों में कहानियाँ पाई जाती हैं। हमारे देश में तो कहानियों की सुदीर्घ और समृद्ध परंपरा रही है। वेद - उपनिषदों में वर्णित यम-यम