बैंकों के निजीकरण के प्रयासों के विरोध में बैंक कर्मियों का विशाल धरना, 16 एवं 17 दिसंबर 2021 को अखिल भारतीय बैंक हड़ताल
बैंकों के निजीकरण के प्रयासों के विरोध में बैंक कर्मियों का विशाल धरना
16 एवं 17 दिसंबर 2021 को अखिल भारतीय बैंक हड़ताल
भोपाल : यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर राजधानी भोपाल की विभिन्न बैंकों के सैकड़ों बैंक कर्मचारी अधिकारियों ने आज 04 दिसम्बर को दोपहर 12:00 बजे से दोपहर 03:00 बजे तक नीलम पार्क भोपाल में बैंकों के निजीकरण के प्रयासों के विरोध में धरना दिया। धरना स्थल पर ही बैंक कर्मचारियों ने इंकलाबी प्रदर्शन किया। धरना- प्रदर्शन को फोरम के पदाधिकारियों साथी वी के शर्मा, संजीव सबलोक, अरुण भगोलीवाल, मोहम्मद नजीर कुरेशी, दीपक रत्न शर्मा, मदन जैन, आशीष तिवारी,संजय कुदेशिया , कुलदीप स्वर्णकार,नलिन शर्मा,जे पी झंवर,एम जी शिंदे, गुणशेखरन, धर्मेंद्र श्रीवास्तव, मिलिंद डेकाटे आदि ने संबोधित किया। वक्ताओं ने बताया कि, केंद्र सरकार का बैंकों को निजीकरण करना प्रतिगामी तथा जन एवं श्रम विरोधी है। इसका सभी को विरोध करना चाहिए।
देश की बैंकों में आम आदमी का पैसा जमा है जो कि उसने अपनी मेहनत से कमाया है। आज बैंकों में 157 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा जनता की जमा राशियां है। यदि बैंकों का निजीकरण होता है तो जनता की कीमती जमा राशियों के ऊपर खतरा उत्पन्न हो जाएगा क्योंकि पूर्व में कई निजी बैंकों के दिवालिया हो जाने के कारण जनता को उनकी जमा राशियां नहीं मिल पाई थी। यदि बैंकों का निजीकरण हो जाता है तो आम आदमी ,किसानों, छोटे व्यापारियों आदि को ऋण नहीं मिल पाएगा । निजी बैंकों का उद्देश्य मात्र लाभ कमाना होगा अतः वे बड़े-बड़े उद्योगपतियों को ही बैंकिंग सेवाएं प्रदान करेंगे । सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बड़े पैमाने पर आम लोगों की मदद कर रहे हैं यदि बैंकों का निजीकरण हुआ तो यह सब बंद हो जाएगा । लेकिन सरकार बैंकों का निजीकरण कर इन्हें निजी हाथों में सौंपना चाहती है।
वर्ष 1948 से लेकर वर्ष 1968 के बीच 20 वर्ष में करीब 736 निजी क्षेत्र के बैंक दिवालिया हो गए थे । जनता की जमा राशियां उनको नहीं मिल पाई थी । यही कारण था की देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 19 जुलाई 1969 को देश के 14 बड़े निजी बैंकों का तमाम विरोध के बावजूद राष्ट्रीयकरण किया था। राष्ट्रीयकरण के बाद सरकारी क्षेत्र के बैंकों ने देश के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, औद्योगिक क्रांति, आईटी क्रांति ,यह सब सरकारी क्षेत्र के बैंकों की देन है।
सन 2008 में आई आर्थिक मंदी के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था के सामने सरकारी क्षेत्र के बैंक चट्टान की तरह खड़े रहे जबकि अमेरिका एवं यूरोप जैसे विकसित देशों में निजी क्षेत्र की बैंक एवं उनके आर्थिक संस्थान ताश के पत्तों की तरह ढह गए। निजी क्षेत्र के बैंकों का देश के विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं में क्या योगदान है, किसी से छिपा हुआ नहीं है। सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन करना हो, जनधन खाता खोलने की चुनौतियों हों, नोटबंदी का सामना करना हो, ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधा मुहैया कराना हो, कोविड-19 महामारी के दौरान देश की जनता को सतत बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करना हो अथवा इस दौरान ऋण वितरण करना हो, यह सब कार्य सरकारी क्षेत्र के बैंकों ने ही किए हैं। सरकारी क्षेत्र के बैंकों ने रात दिन काम करके यह बता दिया कि सरकारी क्षेत्र के बैंक हर चुनौती का सामना करने में सक्षम है । इन्हीं सब बातों को मद्दे नजर रखते हुए हम सरकारी क्षेत्र के बैंकों की रक्षा करने का संकल्प लेते हुए बैंकों के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। वक्ताओं ने कहा कि, यदि सरकार ने बैंकों के निजीकरण के एजेंडे को विराम नहीं दिया तो आगामी 16 एवं 17 दिसंबर 2021 को दो दिवसीय अखिल भारतीय बैंक हड़ताल की जाएगी। इसके बाद भी यदि सरकार ने हमारी मांगों के ऊपर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले दिनों में आंदोलन को और तेज कर और कई राष्ट्रव्यापी बैंक हड़तालें की जाएगी।
धरना प्रदर्शन एवं सभा में विभिन्न बैंकों के साथी अशोक पंचोली,सत्येंद्र चौरसिया, देवेंद्र खरे, जे डी मलिक, वैभव गुप्ता, राजेश कटारे, कृष्णा पांडे, कमलेश बरमैया ,दर्शन भाई, शोभित वाडिल, अमित शर्मा, सिद्धार्थ सिंह, वासु जेठानी, अतुल बाकोटकर, अंकिता मैडम ,रश्मि मैडम, तपन व्यास,आशीष पगारे, मनीष भार्गव, सुंदर किसनानी, मनोज पुंडलिक, विजय राघवन, राजेश सेन, राधेश्याम बाथम, बी एल पुष्पद, आर एस हथिया , घासीराम आदि उपस्थित थे।
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