Skip to main content

शासकीय धन्वन्तरि आयुर्वेद महाविद्यालय में मनाया गया राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस

उज्जैन : शासकीय धन्वन्तरि आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय उज्जैन के प्रधानाचार्य डॉ. जे. पी. चौरसिया ने जानकारी देते हुए बताया कि, भारत सरकार आयुष विभाग एवं संचालनालय आयुष म.प्र. शासन द्वारा प्राप्त निर्देशन के पालन में दिनांक 02.11.2021 को धन्वन्तरि जयंती के उपलक्ष में राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया गया।

प्रात: काल की बेला में महाविद्यालय में भगवान धन्वन्तरि की प्रतिमा के समक्ष प्रधानाचार्य एवं समस्त अधिकारी, कर्मचारियों के द्वारा भगवान धन्वन्तरि का पूजन किया गया। मीडिया प्रभारी डॉ. प्रकाश जोश ने बताया कि, धन्वन्तरि दिवस के अवसर पर महाविद्यालय परिसर स्थित धन्वन्तरि टेकरी में प्राचीन धन्वन्तरि मंदिर में विधि विधान से पूजन अर्चन किया गया।

इस वर्ष राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस की थीम पोषण हेतु आयुर्वेद है।

इसी तारतम्य में आगर रोड चिमनगंज मंडी स्थित चिकित्सालय में फूड फेस्टिवल आयुर्वेद प्रदर्शन व्याख्यानमाला एवं चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया जिसमें महाविद्यालय के पी.जी. विधार्थियों के द्वारा आयुर्वेदिक आहार कल्पनाओं का प्रदर्शन किया । संहिता सिद्धांत विभाग द्वारा आयुर्वेदिक आहार विषय पर प्रदर्शनी लगाई गई । द्रव्यगुण विभाग द्वारा औषधीय पौधों की प्रदर्शनी लगाई गई । 

व्याख्यान माला के कार्यकम में डॉ. ओ.पी. व्यास, अधीक्षक डॉ. ओ.पी. शर्मा, आर.एम.ओ. डॉ. हेमन्त मालवीय, डॉ. नृपेन्द्र मिश्रा, डॉ. गीता जाटव ने अपने विचार रखे । अध्यक्षीय उद्बोधन प्रधानाचार्य डॉ. जे.पी. चौरसिया ने दिया । कार्यकम का संचालन डॉ. जितेन्द्र जैन ने किया व आभार प्रदर्शन डॉ. अजय कीर्ति जैन ने किया । चिकित्सा शिविर में सैंकडों लोगो ने चिकित्सा का लाभ लिया। कार्यकम के अंत में औषधीय खीर का वितरण किया गया।

Comments

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्ट पहलू उजागर

मालवी भाषा और साहित्य : प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

MALVI BHASHA AUR SAHITYA: PROF. SHAILENDRAKUMAR SHARMA पुस्तक समीक्षा: डॉ श्वेता पंड्या Book Review : Dr. Shweta Pandya  मालवी भाषा एवं साहित्य के इतिहास की नई दिशा  लोक भाषा, लोक साहित्य और संस्कृति का मानव सभ्यता के विकास में अप्रतिम योगदान रहा है। भाषा मानव समुदाय में परस्पर सम्पर्क और अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। इसी प्रकार क्षेत्र-विशेष की भाषा एवं बोलियों का अपना महत्त्व होता है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति से जुड़े विशाल वाङ्मय में मालवा प्रदेश, अपनी मालवी भाषा, साहित्य और संस्कृति के कारण महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। यहाँ की भाषा एवं लोक-संस्कृति ने  अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव डालते हुए अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। मालवी भाषा और साहित्य के विशिष्ट विद्वानों में डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। प्रो. शर्मा हिन्दी आलोचना के आधुनिक परिदृश्य के विशिष्ट समीक्षकों में से एक हैं, जिन्होंने हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं के साथ-साथ मालवी भाषा, लोक एवं शिष्ट साहित्य और संस्कृति की परम्परा को आलोचित - विवेचित करने का महत्त्वपूर्ण एवं सार्थक प्रयास किया है। उनकी साहित्य

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं द