हमें अपने महान सेनानियों को याद करना चाहिए – श्री नागर
विश्वविद्यालय में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत हुआ वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी श्री नागर का सम्मान एवं पुस्तक हिंदुस्तान का सफर का लोकार्पण
संबोधित करते हुए वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी श्री प्रेमनारायण नागर ने कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव को मनाते हुए हमें अपने महान सेनानियों को याद करना चाहिए। आज के दौर में भारतीयता और नैतिकता का प्रसार आवश्यक है। श्री राजेश बादल ने अपनी पुस्तक के माध्यम से देश की प्रगति और विभिन्न स्थितियों को दर्शाया है। हमारा देश कहाँ था और अब वह कितनी प्रगति कर चुका है, इसका गौरव सभी को होना चाहिए। नई पीढ़ी के लिए यह पुस्तक महत्वपूर्ण उपलब्धि सिद्ध होगी।
कुलपति प्रो अखिलेशकुमार पांडेय ने कहा कि हमें अपने देश के इतिहास को जानना बहुत आवश्यक है। आजादी हमें कड़े संघर्ष के बाद मिली है। यदि हम अपने इतिहास को नहीं जानेंगे तो भविष्य की दिशा तय नहीं कर पाएंगे। युवाओं के बीच नई चेतना का संचार आवश्यक है। नई शिक्षा नीति में इस बात पर बल दिया गया है कि हम अपने इतिहास पुरुषों के संबंध में जानें। महात्मा गांधी तकनीकी के विरोधी नहीं थे। वे कहते थे कि लोगों का व्यवसाय छिन जाए, इस प्रकार का यंत्रीकरण उचित नहीं है। देश को निर्धनता से मुक्त करने के लिए समाज के सभी पक्ष मिलकर आगे आएँ। पत्रकारिता के सरोकार आज विराट होते चले जा रहे हैं।
पद्मश्री श्री विजयदत्त श्रीधर, भोपाल ने कहा कि सामाजिक सरोकारों के बिना पत्रकारिता संभव नहीं है। सकारात्मक पत्रकारिता से समाज और राष्ट्र का उद्धार होता है। आजादी का सफरनामा आसान नहीं रहा है। महात्मा गांधी ने किसान, मजदूर और महिलाओं की पीड़ा को अपने अंदर आत्मसात किया था। नई पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए स्वतंत्रता संघर्ष के अज्ञात महानायकों का स्मरण किया जाना चाहिए। महान पत्रकार और साहित्यकार माधवराव सप्रे हिंदी नवजागरण के पुरोधा थे। आजादी के आंदोलन के कई आयाम रहे हैं। देश की आत्मा को जगाने का काम माधवराव सप्रे ने किया। सप्रे जी ने हिंदी के समालोचना शास्त्र, निबंध और कहानी विधा के विकास में अविस्मरणीय योगदान दिया। वे अर्थशास्त्र के कोशकार तथा अनेक ग्रंथों के अनुवादक थे।
पूर्व कुलपति प्रो रामराजेश मिश्र ने कहा कि समाचार पत्र समाज की धड़कन को मूर्त करते हैं। रिपोर्ताज जैसी विधा वर्तमान में हाशिए पर जा रही है। अखबारों में इस प्रकार का लेखन धीरे धीरे कम हो रहा है। कलमकार श्री राजेश बादल ने रिपोर्ताज विधा को जीवित रखा है।
पुस्तक के लेखक श्री राजेश बादल, नई दिल्ली ने कहा कि देश की आजादी की सूरत का हमें पता होना चाहिए। देश की आलोचना करना आसान है, लेकिन पहले के शासकों ने हमें किस तरह गुलाम बना रखा था, उसे याद करना चाहिए। देश की तरक्की और रफ्तार का ब्यौरा देने की कोशिश इस पुस्तक में की गई है।
हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा की राष्ट्र को जगाने और आजादी के आंदोलन में अग्निधर्मा पत्रकारों और साहित्यकारों ने अविस्मरणीय योगदान दिया। उनमें माधवराव सप्रे, माखनलाल चतुर्वेदी, गणेशशंकर विद्यार्थी और बालकृष्ण शर्मा नवीन प्रमुख हैं। माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान भारत का गौरव ज्ञान तीर्थ है। इसका लाभ शोधकर्ता और विद्यार्थी प्राप्त करें।
श्री राजेश बादल की पुस्तक हिंदुस्तान का सफर का विमोचन वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी श्री प्रेमनारायण नागर, कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय, पद्मश्री श्री विजयदत्त श्रीधर, पूर्व कुलपति प्रो रामराजेश मिश्र एवं कुलानुशासक डॉ शैलेंद्र कुमार शर्मा ने किया। वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी श्री प्रेम नारायण नागर को शॉल, सूत की माला और साहित्य अर्पित कर उनका सम्मान कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय, कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा आदि ने किया। गौरव मेमोरियल फाउंडेशन, भोपाल की ओर से नेहरू युवा केंद्र संगठन के वरिष्ठ अधिकारी श्री अरविंद श्रीधर ने स्वतंत्रता सेनानी श्री नागर को शॉल, श्रीफल एवं सूत की माला अर्पित कर उन्हें सम्मानित किया। इस अवसर पर माधवराव सप्रे संग्रहालय एवं शोध संस्थान, भोपाल की निदेशक डॉ मंगला अनुज ने अतिथियों को माधवराव सप्रे सार्द्धशती स्मारक ग्रंथ एवं महात्मा गांधी की पुस्तक हिंद स्वराज की प्रति भेंट की।
अतिथियों का स्वागत कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, डीएसडब्ल्यू डॉ एस के मिश्रा, डॉ जगदीश चंद्र शर्मा, डॉ गणपत अहिरवार, डॉ विश्वजीतसिंह परमार, डॉ डी. डी. बेदिया, डॉ संग्राम भूषण, श्रीमती हीना तिवारी आदि ने किया।
आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शिव चौरसिया, श्रीराम दवे, श्री ब्रजकिशोर शर्मा, श्री महेंद्र ज्ञानी, श्री अरविंद श्रीधर, श्री निरुक्त भार्गव, श्री सुशील शर्मा, डॉ विवेक चौरसिया, डॉ अजय शर्मा, श्री कमल जोशी, श्री राजू यादव, श्री जसवंत सिंह आंजना आदि सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्धजनों, साहित्यकारों, गणमान्य नागरिकों एवं अध्येताओं ने भाग लिया।
संचालन डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने किया और आभार प्रदर्शन डीएसडब्ल्यू डॉ सत्येंद्र किशोर मिश्रा ने किया।
Comments