उज्जैन: प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में अध्ययनरत छात्रा ने कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय के उद्बोधन से प्रेरित होकर केचुआखाद का निर्माण एवं स्टार्टअप प्रारम्भ किया। छात्रा का यह प्रयास रोजगार स्थापित कर दूसरों के लिए रोजगार निर्मित करने का एक अनुकरणीय उदाहरण बन गया है।
प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में एमएससी तृतीय सेमेस्टर जैवप्रौद्योगिकी में अध्ययनरत छात्रा कु पार्वती लबवंशी मूलतः सारंगगढ़ क्षेत्र के ग्राम तरलाखेड़ी की निवासी है। लगभग 7-8 माह पूर्व एक कार्यक्रम में माननीय कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय, कुलपति, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के स्वरोजगार से सम्बंधित व्याख्यान से प्रेरित होकर अपने गांव मे वर्मीकल्चर की इकाई स्थापना करते हुए केचुआखाद का निर्माण प्रारम्भ किया, जिसमें अभी लगभग 5-6 टन खाद का निर्माण किया जा चुका है। छात्रा ने अपने घर के आस-पास के किसानों एवं अपने कृषि फार्म से निकलने वाले कृषि अपशिष्ट पदार्थ एवं गोबर का संचय प्रारम्भ किया तथा वर्मीकल्चर यूनिट (वर्मीबेड़) का निर्माण करते हुए केचुए की केवल दो प्रजातियों लुब्रिकस टेरिस्टोरिस एवं ऐसेनिका फेटिडा के माध्यम से केचुआ खाद का निर्माण किया है।
प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा संकल्पित कौशल विकास एवं आत्मनिर्भर भारत के सपनों को साकार करते हुए जीवखाद (केचुआखाद) निर्माण इकाई से भविष्य में अन्य लोगो के लिए भी रोजगार सृजन करने की संभावनाएं हैं। छात्रा द्वारा दृढ़संकल्पित यह कार्य अन्य छात्रों को स्वरोजगार स्थापित करने के लिए एक प्रेरणा स्रोत है।
छात्रा के इस महत्त्वपूर्ण कार्य पर विभागाध्यक्ष प्रोफेसर लता भट्टाचार्य सहित विभाग के शिक्षकों डॉ सलिल सिंह, डॉ अरविन्द शुक्ल, डॉ संतोष कुमार ठाकुर, डॉ शिवि भसीन, डॉ स्मिता सोलंकी एवं डॉ गरिमा शर्मा ने उसे बधाई दी।
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