उज्जैन: पर्यावरण प्रबंधन अध्ययनशाला उज्जैन में प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय, कुलपति, विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा मशरुम खेती : परिचय, विकास एवं औद्योगिक उपयोग विषय पर विस्तृत व्याख्यान दिया गया, जिसमें वनस्पति विज्ञान अध्ययनशाला, प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला, पर्यावरण प्रबंधन अध्ययनशाला, रसायन एवं जैवरसायन विज्ञान अध्ययनशाला के छात्र-छात्राएं, शोधार्थी एवं शिक्षकगण उपस्थित थे।
स्वत्रंत्रता का अमृत महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन लगातार विक्रम विश्वविद्यालय की विभिन्न अधयनशालाओं में किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत विभिन्न विषयों पर वेबिनार, सेमिनार, शैक्षणिक व्याख्यान एवं अन्य कलात्मक कार्यक्रमों का आयोजन निरंतर जारी है। इसी कार्यक्रम की निरंतरता में प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय, कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा पर्यावरण प्रबंधन अध्ययनशाला में मशरुम उत्पादन एवं उनके औद्योगिक उपयोग विषय पर व्याख्यान दिया गया, जिसमे विभिन्न अधयनशालाओ के छात्र-छात्राएं, शोधार्थी एवं शिक्षकगण उपस्थित थे।
प्रोफेसर पांडेय ने अपने उद्बोधन में बताया कि मशरुम खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है। एंटीऑक्सीडेंट होने के साथ प्रोटीन, विटामिन डी, सेलिनियम और जिंक से भरपूर मशरुम का इस्तेमाल कई प्रकार की दवाइयाँ बनाने में किया जाता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर की बीमारियों से बचा सकते हैं तथा इम्यून सिस्टम को मजबूत करने का काम करते हैं। मशरुम में बीटा ग्लाइसिन और लिनोलिक एसिड होता है, जो कैंसर को कम करता है। मशरुम वजन कम करने एवं शुगर लेवल को नियंत्रित करने में सहायक होता है। वर्त्तमान समय में मशरुम द्वारा कई औद्योगिक उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं, जैसे मशरुम प्रोटीन पाउडर, मशरूम फर्नीचर, मशरुम लाठर, मशरुम मीट, मशरुम ईंट (ब्रिक), मशरुम फ़िल्टर आदि। प्रोफेसर पांडेय ने बताया कि मशरुम क्षेत्र में अनुसन्धान की अपार संभावनाए हैं। विद्यार्थी मशरुम की खेती द्वारा स्वरोजगार स्थापित कर दूसरों को भी रोजगार देने में सहायक बनें।
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