Skip to main content

दीक्षारंभ समारोह-अभिमुखीकरण कार्यक्रम एवं मैत्रीय मिलन कार्यक्रम सम्पन्न

पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान (एम.बी.ए. डिपार्टमेंट), विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन

दीक्षारंभ समारोह-अभिमुखीकरण कार्यक्रम एवं  मैत्रीय मिलन कार्यक्रम सम्पन्न

 "वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने के लिए भी प्रबन्धन विद्यार्थी सक्षम बने" - सी.ए. (प्रो.) डॉ. दीपक गुप्ता 


उज्जैन । "प्रबंधन ज्ञान केवल विद्यार्थियों को पारम्परिक ज्ञान उपलब्ध करवाता है बल्कि प्रबंधन कौशल चातुर्य की कलाओं को सीखा कर उन्हें वैश्विक चुनौतियों के लिए भी सक्षम बनाता है।

उपरोक्त उद्गार सी.ए. (प्रो.) डॉ.दीपक गुप्ता, आचार्य एवं निदेशक पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने नवागत प्रवेशित विद्यार्थियों के स्वागत में व्यक्त किए। शिक्षा मंत्रालय की भावना अनुरूप गुरुकुल परम्परा अनुसार, 2021 बैच के नव प्रवेशित विद्यार्थियों के लिए आयोजित दीक्षारंभ समारोह-अभिमुखीकरण कार्यक्रम एवं मैत्रीय मिलन कार्यक्रम के अवसर पर बोल रहे थे। प्रो. गुप्ता ने कहा कि, किसी पौधे के लगाने के बाद उसकी देख-रेख करने पर वह पौधा बड़ा होने पर अच्छे फल देता है, उसी प्रकार शैक्षणिक संस्थाएं भी विद्यार्थियों की देख-रेख कर उनके नैसर्गिक विकास में सहायता करती है। आपने अपने प्रमुख उद्बोधन में आशा व्यक्त की कि, विद्यार्थीगण रोजगार संभावनाओं का अधिक से अधिक लाभ लेंगे। 

डॉ. कामरान सुल्तान, एसोसिएट प्रोफेसर ने कहा कि, प्रबंधन के विद्यार्थी अपनी क्षमताओं को पहचान कर अपने सुखद भविष्य का मार्ग तय करें। आपने व्यक्तित्व विकास के महत्व को रेखांकित किया।

डॉ. सचिन राय, एसोसिएट प्रोफेसर एवं रोजगार प्रकोष्ठ प्रभारी ने नवागत विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए रोजगार एवं स्वरोजगार से संबंधित जानकारी दी एवं विचार व्यक्त किए कि, विद्यार्थियों की हर कठिनाईयों का समाधान करने के लिए संस्थान हमेशा तत्पर रहता है।


विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्तियों के बारे में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. डी. डी. बेदिया एवं डॉ. नयनतारा डामोर सहायक प्राध्यापक द्वारा भी मार्गदर्शन प्रदान करते हुए विद्यार्थियों को उनकी अंतर्निहित क्षमताओं को विकसित करने की महती आवश्यकता व्यक्त की गई। 

संस्थान की उपलब्धियों, इतिहास, संस्था के पूर्व निदेशक (संप्रति कुलपति, इग्नू, नई दिल्ली) प्रो.डॉ नागेश्वर राव सहित, वर्तमान निदेशक सी.ए. (प्रो.) डॉ. दीपक गुप्ता, उपस्थित समस्त संकाय सदस्यों का विस्तृत परिचय, सूत्रधार डॉ. धर्मेन्द्र मेहता एसोसिएट प्रोफेसर द्वारा प्रस्तुत किया गया।  

संस्थान के निदेशक एवं सभी शिक्षकों ने सभी विद्यार्थियों से उनके व्यक्तिगत कोविड टीकाकरण प्रपत्रों एवं अभिभावकों के सहमति पत्रों की अनिवार्यता एवं अविलंब इन्हें प्रस्तुत करने के महत्वपूर्ण कार्य को शीघ्रता से सम्पन्न करने हेतु निर्देशित किया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में एमबीए तृतीय सेमेस्टर छात्राओं रितुल मणि, रितुल बैरागी, निवेदिता शर्मा ने विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलगान की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग एमबीए तृतीय सेमेस्टर छात्रगण कपिल चावंड, प्रमोद कौरव, कुश पुरोहित, जीत वेद ने प्रदत्त किया।

ऑनलाइन-ऑफ लाइन मोड में आयोजित इस अभिमुखीकरण कार्यक्रम पश्चात, तृतीय सेमिस्टर्स के विद्यार्थियों ने भी अपने विचार रखते हुए उक्त मैत्रीय मिलन कार्यक्रम को रैगिंग जैसी कुप्रथा के रोकथाम हेतु बहुत लाभदायक बताया। इस अवसर पर संस्थान के स्टॉफ मेम्बर्स एवं दोनो सेमिस्टर्स के विद्यार्थी ऑफ लाइन/ऑनलाइन रूप से उपस्थित थे।

सत्रारम्भ के इस अकादमिक समारोह का जीवंत संचालन एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.धर्मेन्द्र मेहता ने किया।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं