Skip to main content

विश्वविद्यालय में इसी सत्र से तीन विषयों में एमबीए पाठ्यक्रम प्रारंभ किए गए

विश्वविद्यालय में इसी सत्र से तीन विषयों में एमबीए पाठ्यक्रम प्रारंभ किए गए  

बीएससी ऑनर्स कृषि में 60 सीटें बढ़ीं

विश्वविद्यालय में संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों में रिक्त सीटों पर 30 अक्टूबर तक ले सकेंगे प्रवेश


उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय में इसी सत्र से तीन विषयों में एमबीए प्रारंभ किए गए हैं।  नवीन कोर्स के नाम हैं -  एमबीए फाइनेंशियल एडमिनिस्ट्रेशन, एमबीए ह्यूमन रिसोर्स और एमबीए मार्केंटिंग मैनेजमेंट। एमबीए के नवीन पाठ्यक्रम वाग्देवी भवन स्थित वाणिज्य अध्ययनशाला में संचालित बीबीए कोर्स के साथ संचालित किए जाएंगे।  विशेष जानकारी के लिए विद्यार्थी वाणिज्य अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉक्टर सत्येंद्र किशोर मिश्रा से संपर्क कर सकते हैं।

प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा, कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने जानकरी देते हुए बताया कि, विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययनशालाओं और संस्थानों में संचालित 210 से अधिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए प्रथम बार अब तक लगभग चार हजार आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। विभिन्न पाठ्यक्रमों में रिक्त सीटों पर प्रवेश के लिए दिनांक 30 अक्टूबर तक ऑनलाइन आवेदन किए जा सकते हैं। 

विश्वविद्यालय में इसी वर्ष प्रारंभ किए गए बीएससी ऑनर्स कृषि में सीटों की संख्या 180 से बढ़ाकर 240 कर दी गई हैं। विद्यार्थीगण कृषि पाठ्यक्रम में बढ़ाई गई सीटों पर प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन कर 30 अक्टूबर तक प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं। कृषि संबंधी विभिन्न पाठ्यक्रमों की विस्तृत जानकारी के लिए विद्यार्थीगण कृषि अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ राजेश टेलर से संपर्क कर सकते हैं। विश्वविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रमों से संबंधित विस्तृत विवरण विश्वविद्यालय की वेबसाइट http://vikramuniv.ac.in/  से प्राप्त किया जा सकता है। विशेष जानकारी के लिए विद्यार्थी देवास रोड पर स्थित विश्वविद्यालय के अकादमिक परिसर में विभिन्न अध्ययनशाला एवं संस्थानों से संपर्क कर सकते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्ट पहलू उजागर

मालवी भाषा और साहित्य : प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

MALVI BHASHA AUR SAHITYA: PROF. SHAILENDRAKUMAR SHARMA पुस्तक समीक्षा: डॉ श्वेता पंड्या Book Review : Dr. Shweta Pandya  मालवी भाषा एवं साहित्य के इतिहास की नई दिशा  लोक भाषा, लोक साहित्य और संस्कृति का मानव सभ्यता के विकास में अप्रतिम योगदान रहा है। भाषा मानव समुदाय में परस्पर सम्पर्क और अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। इसी प्रकार क्षेत्र-विशेष की भाषा एवं बोलियों का अपना महत्त्व होता है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति से जुड़े विशाल वाङ्मय में मालवा प्रदेश, अपनी मालवी भाषा, साहित्य और संस्कृति के कारण महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। यहाँ की भाषा एवं लोक-संस्कृति ने  अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव डालते हुए अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। मालवी भाषा और साहित्य के विशिष्ट विद्वानों में डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। प्रो. शर्मा हिन्दी आलोचना के आधुनिक परिदृश्य के विशिष्ट समीक्षकों में से एक हैं, जिन्होंने हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं के साथ-साथ मालवी भाषा, लोक एवं शिष्ट साहित्य और संस्कृति की परम्परा को आलोचित - विवेचित करने का महत्त्वपूर्ण एवं सार्थक प्रयास किया है। उनकी साहित्य

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं द