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देवनागरी सार्वदेशिक प्रचलित व वैज्ञानिक लिपि है, भारत की समस्त भाषाओं की लिपि देवनागरी होगी - डॉ चौधरी

नागरी लिपि परिषद् नई दिल्ली के द्वारा स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय हुडको भिलाई के हिन्दी विभाग तथा राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना मंच के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका विषय सार्वदेशिक लिपि देवनागरी सफलता और संभावनाऐं तथा महिला सशक्तिकरण और शिक्षा की अनिवार्यता रखा गया था।

समारोह के मुख्य वक्ता डॉ. प्रभु चौधरी राष्ट्रीय महासचिव राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने देव नागरी लिपि की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए बताया देवनागरी केवल हिन्दी की लिपि नही है अपितु हिन्दी की अठारह सहयोगी बोलियों की भी लिपि है यह सार्वदेशिक लिपि है अपनी वैज्ञानिकता के कारण अर्न्तराष्ट्रीय लिपि बनने की योग्यता भी हैं । डॉ. दीपक शर्मा मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय हुडको भिलाई ने कहा कि इस तरह संगोष्ठी के आयोजन से समसामयिक विषयों को समझने व जानने का नया आयाम मिलता है। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा भारत के संविधान में जब हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित किया गया व उसकी लिपि देवनागरी रखी गई यह संस्कृत की एकमात्र लिपि है । प्राचीन ब्राम्ही लिपि से देवनागरी का विकास हुआ नागरी लिपि से ही राजस्थानी, महाजनी, गुजराती, मराठी, नेपाली आदि लिपि लिखी जाती है। यह सार्वदेशिक लिपि है इसमें अर्न्तराष्ट्रीय लिपि बनने की योग्यता हैं। 

संत्र का विषय सार्वदेशिक लिपि देवनागरी सफलता और संभावनायें रखा गया जिसमें मुख्य अतिथि डॉ. डी.पी. देशमुख कला परंपरा संस्थान के अध्यख ने नागरी लिपि के प्रारंपरिक स्वरूप उद्भव व विकास पर प्रकाष डाला। विशिष्ट अतिथि डॉ. सुधीर शर्मा विभागाध्यक्ष हिन्दी कल्याण महाविद्यालय सेक्टर 7 भिलाई ने कहा देवनागरी की प्रतिस्पर्धा रोमन व चीन की मंदारिन लिपि से है मंदारिन चित्र लिपि है अधिकतर उसे समझने के लिये अटकल लगाना पड़ता हैं। वैसे ही रोमन में छब्बीस वर्ण है एक ही शब्द के लिये अनेक वर्णो का प्रयोग होता है परन्तु देवनागरी अध्ययन वैज्ञानिक लिपि है इसे जैसा बोला जाता है। वैसा पढ़ा जाता है। देवनागरी लिपि हमारे लिये मंगलाचरण व संस्कार हैं। विशिष्ट अतिथि बलदाऊ राम साहू ने देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता व उनकी प्राचीनता पर विस्तार से प्रकाश डाला। अपने अध्यक्षीय उदबोधन में विनय पाठक ने कहा देवनागरी सार्वदेशिक प्रचलित व वैज्ञानिक लिपि है अगर भारत की सभी भाषाओं की लिपि देवनागरी हो जाय तो भाषा की समस्या दूर हो जायेगी साथ ही देश में भावात्मक एकता का विकास होगा। 

संगोष्ठी में सहभागी साहित्यकारो का सम्मान एवं अभिनन्दन भी अतिथियों ने किया। समारोह में डॉ. मुक्ता कौशिक, डॉ. शैलचन्द्रा, पूर्णिमा कौशिक, डॉ. अनसूया अग्रवाल, सीमा निगम, डॉ. दीपिका सुतोदिया, डॉ. शिवा लोहारिया का राष्ट्रीय सम्मान किया गया। इस मौके पर डॉ. आशीष नायक को नागरी लिपि परिषद प्रदेश संयोजक का नियुक्ती पत्र दिया । समारोह आयोजक डॉ. हंसा शुक्ला का विशेष सम्मान किया।

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