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हिंदुस्तान को मुक्त विचार देने की इच्छा शक्ति गांधी जी के अंदर थी – डॉ सहगल

हिंदुस्तान को मुक्त विचार देने की इच्छा शक्ति गांधी जी के अंदर थी – डॉ सहगल

विक्रम विश्वविद्यालय में गांधी जयंती पर हुआ विशिष्ट व्याख्यान, महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं उनके प्रिय भजन की प्रस्तुति


उज्जैन : गांधी जयंती पर प्रातः काल विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के महाराजा जीवाजीराव सिंधिया पुस्तकालय परिसर स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। पुष्पांजलि के पश्चात् पुस्तकालय भवन सभागार में विशिष्ट व्याख्यान सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर लोक संस्कृतिविद् डॉ पूरन सहगल, मनासा ने लोक एवं जनजातीय साहित्य में स्वाधीनता आंदोलन और महात्मा गांधी पर केंद्रित विशिष्ट व्याख्यान दिया। आयोजन की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने की। विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक थे।

व्याख्यान देते हुए लोक संस्कृतिविद् डॉ पूरन सहगल ने कहा कि इस धरती पर असंख्य लोग जीते और मरते हैं, किंतु कुछ ऐसे महापुरुष होते हैं जो कभी नहीं मरते। गांधी जी आज भी जीवंत हो हमारे अंदर मौजूद हैं। हिंदुस्तान को मुक्त विचार देने की इच्छा शक्ति उनके अंदर थी। गांधी जी ने देश के जन जन तक पहुंच कर सोते हुए लोगों को जगाया। उनका चरखा स्वतंत्रता और आर्थिक क्रांति का प्रतीक था। लोक साहित्य में उनके चरखे की तुलना सुदर्शन चक्र से की गई है। राष्ट्रीय आंदोलन में स्वतंत्रता का जज्बा लिए हुए जनजातीय समुदायों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टंट्या भील, भीमा नायक, झलकारी बाई जैसे अनेक अमर वीरों ने महान योगदान दिया। डूंगरसिंह शेखावत ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया था, जिसमें बड़ी संख्या में भील, मीणा जैसे अनेक जनजातीय समुदायों के लोगों ने भाग लिया। अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति ने स्वतंत्रता आंदोलन की मजबूत नींव बनाई थी।

अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि महात्मा गांधी ने भारत की स्वतंत्रता के साथ सामाजिक जागृति और समरसता की दिशा में अविस्मरणीय कार्य किया। उन्होंने नशा मुक्ति के लिए लोगों को जागरूक किया। आज शराब एवं अन्य नशों के साथ युवा पीढ़ी के बीच सोशल मीडिया भी व्यसन बनता जा रहा है। समस्त प्रकार के व्यसनों से मुक्ति के लिए जागरूकता लाने की आवश्यकता है। कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक ने कहा कि अंग्रेजों ने हमें कुचलने के लिए लोक और जनजातीय शक्तियों का प्रयोग किया था, किंतु भारत के अनेक अंचलों में बसे जनजातीय समुदायों के लोगों ने स्वाधीनता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ब्रिटिश हुकूमत ने वनोपज और कृषि पर अपना अंकुश जमा लिया था, जिसके विरुद्ध किसानों और आदिवासियों में गहरा असंतोष था। वर्तमान में स्वच्छ भारत और नशा मुक्ति अभियान में युवाओं की सहभागिता आवश्यक है।
विषय प्रवर्तन करते हुए गांधी अध्ययन केंद्र के निदेशक एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी प्रखर लोक चेतना संपन्न महामानव थे। लोकमानस पर उनका गहरा प्रभाव दिखाई देता है। मालवा, बुंदेलखंड, निमाड़ सहित देश के विभिन्न लोक और जनजातीय अंचलों में प्रचलित लोकगीतों में गांधी जी के विचार और कार्यों की सरस अभिव्यक्ति हुई है। स्वाबलंबन, स्वदेशी, सद्भाव और सत्याग्रह के सूत्रों को लोक समुदायों ने अंगीकार करते हुए वाचिक परंपरा में आगे बढ़ाया।

इस अवसर पर जागृति नशा मुक्ति केंद्र एवं सामाजिक न्याय विभाग द्वारा संयोजित मद्य निषेध सप्ताह का शुभारंभ हुआ। दिनांक 2 अक्टूबर से प्रारंभ हुए इस सप्ताह में अनेक स्थानों पर मद्य एवं व्यसन मुक्ति के लिए जन जागरूकता लाई जाएगी। विक्रम विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार से सहायता प्राप्त संस्था जाग्रति नशामुक्ति केंद्र द्वारा मद्यनिषेध प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी का संयोजन श्री चिंतामणि गेहलोत, विनोद कुमार दवे, श्री राजेश ठाकुर एवं श्री देवीलाल मालवीय ने किया। सामाजिक न्याय विभाग के अंतर्गत कला पथक दल द्वारा मुख्य कलाकार पं शैलेन्द्र भट्ट के निर्देशन में महात्मा गांधी के प्रिय भजन वैष्णव जन तो तेणे कहिए एवं नशा मुक्ति गीत की प्रस्तुति की गई। दल के कलाकारों में सुश्री अर्चना मिश्रा, सुरेश कुमार, राजेश जूनवाल, सुनील फरण, अनिल धवन, आनंद मिश्रा आदि शामिल थे। कार्यक्रम में कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने उपस्थित जनों को नशा निषेध की शपथ दिलाई।

अतिथि स्वागत गांधी अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, अधिष्ठाता, विद्यार्थी कल्याण डॉ सत्येंद्र किशोर मिश्रा, प्रो प्रेमलता चुटैल, डीसीडीसी प्रो देवेंद्र मोहन कुमावत, प्रो उमा शर्मा, प्रभारी पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ संदीप तिवारी, डॉ गणपत अहिरवार, डॉ कनिया मेड़ा, श्री कमल जोशी, श्री योगेश शर्मा, श्री जसवंतसिंह आंजना आदि ने किया। आयोजन में प्रो एच पी सिंह, प्रो हरिमोहन बुधौलिया, प्रो के एन सिंह, डॉ सोनल सिंह, डॉ धर्मेंद्र मेहता, डॉ राज बोरिया आदि सहित प्रबुद्ध जनों, शिक्षकों और विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने किया एवं आभार प्रदर्शन डीएसडब्ल्यू डॉ सत्येंद्र किशोर मिश्रा ने किया।

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