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नवरात्रि में देवी मां का नौवां रूप : मां सिद्धिदात्री, जानें देवी मां का स्वरूप, पूजा विधि, मंत्र, भोग व मिलने वाला आशीर्वाद

सिद्धिदात्री

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

मां दुर्गा की नौवीं शक्ति को सिद्धिदात्री कहते हैं। जैसा कि नाम से प्रकट है ये सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं। नव दुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अंतिम हैं। इनकी उपासना के बाद भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। देवी के लिए बनाए नैवेद्य की थाली में भोग का सामान रखकर प्रार्थना करनी चाहिए।

नवरात्रि में देवी मां का नौवां (नवमी) रूप : 
मां सिद्धिदात्री...

मां का स्वरूप : मां सिद्धिदात्री कमल के फूल पर विराजमान हैं और उनकी चार भुजाएँ हैं। मां सिद्धिदात्री की सवारी सिंह हैं। देवी ने सिद्धिदात्री का यह रूप भक्तों पर अनुकम्पा बरसाने के लिए धारण किया है। देवता, ऋषि-मुनि, असुर, नाग, मनुष्य सभी मां के भक्त हैं।

मां की पूजा विधि : सबसे पहले मां सिद्धिदात्री के समक्ष दीपक जलाएं। अब मां को लाल रंग के नौ फूल अर्पित करें। कमल का फूल हो तो बेहतर है। इन फूलों को लाल रंग के वस्त्र में लपेटकर रखना चाहिए। इसके बाद माता को नौ तरह के खाद्य पदार्थ चढ़ाएं। अपने आसपास के लोगों में प्रसाद बांटे। साथ ही गरीबों को भोजन कराएं। इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण कर लें।

मां का भोग : विभिन्न प्रकार के अनाजों का भोग लगाएं।

मंत्र : या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

“ॐ सिद्धिदात्री देव्यै नमः”।।

आशीर्वाद : हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करतीं हैं।

वहीं इसके अगले दिन दशमी मनाई जाती है। इस दिन देवी मां की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है।

देवी के नवें रूप को सिद्धिदात्री कहा जाता है।

देवी महागौरी आपको भौतिक जगत में प्रगति के लिए आशीर्वाद और मनोकामना पूर्ण करती हैं, ताकि आप संतुष्ट होकर अपने जीवनपथ पर आगे बढ़ें।

माँ सिद्धिदात्री आपको जीवन में अद्भुत सिद्धि, क्षमता प्रदान करती हैं ताकि आप सबकुछ पूर्णता के साथ कर सकें। सिद्धि का क्याअर्थ है? सिद्धि, सम्पूर्णता का अर्थ है – विचार आने से पूर्व ही काम का हो जाना। आपके विचारमात्र, से ही, बिना किसी कार्य किये आपकी इच्छा का पूर्ण हो जाना यही सिद्धि है।

आपके वचन सत्य हो जाएँ और सबकी भलाई के लिए हों। आप किसी भी कार्य को करें वो सम्पूर्ण हो जाए - यही सिद्धि है। सिद्धि आपके जीवन के हर स्तर में सम्पूर्णता प्रदान करती है। यही देवी सिद्धिदात्री की महत्ता है।

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