Skip to main content

पच्चीसवें दीक्षांत समारोह का आयोजन दिनांक 22 दिसम्बर 2021 को होगा, विक्रम विश्वविद्यालय, कार्यपरिषद् की बैठक सम्पन्न।

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की कार्यपरिषद् की बैठक दिनांक 27 अक्टूबर 2021 को सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय ने की। बैठक में कार्यपरिषद् के सदस्य डॉ. लक्ष्मीनारायण शर्मा, डॉ. दीपिका गुप्ता, डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ. पी.के. वर्मा, डॉ. गोविन्द गन्धे, अतिरिक्त संचालक डॉ. आर. सी. जाटवा, श्रीमती सुषमा ठाकुर, श्री राजेश सिंह कुशवाह, श्री सचिन दवे, सुश्री ममता बैण्डवाल, श्रीमती कुसुमलता निंगवाल, श्री विनोद यादव, श्री संजय नाहर एवं कुलसचिव डॉ. प्रशान्त पुराणिक उपस्थित थे।

बैठक में विद्या परिषद् की स्थाई समिति की बैठक दिनांक 28.08.2021, एवं 10.09.2021 के कार्य विवरण की पुष्टि की गई। बैठक में विद्या संबंधी योजना एवं मूल्यांकन बोर्ड की बैठक दिनांक 10.08.2021, 28.08.2021, 13.09.2021 21.10.2021 एवं 26.10.2021 के कार्य विवरण की पुष्टि की गई। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के पच्चीसवें दीक्षांत समारोह को राजभवन से प्राप्त निर्देशानुसार दिनांक 22 दिसम्बर 2021 को आयोजित किया जाएगा। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में कार्यरत कर्मचारियों एवं उनके आश्रितों की गंभीर बीमारी के उपचार में होने वाले चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति के संबंध में गठित समिति की अनुशंसाओं को स्वीकार किया गया। 


विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के दिवंगत कर्मचारियों के आश्रितों को गठित समिति की अनुशंसा के तारतम्य में 14 में से 12 प्रकरणों पर अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान करने का निर्णय लिया गया। विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति प्रक्रिया को केन्द्रीयकृत किये जाने का निर्णय लिया गया। विक्रम कीर्ति मंदिर दिनांक 01 अक्टूबर 2021 को विश्वविद्यालय को हस्तांतरित किया गया है, उसके किराये के निर्धारण पर निर्णय लिया गया। शोध अभ्यर्थियों द्वारा प्रस्तुत शोध प्रबंधों के परीक्षकों की अनुशंसा के आधार पर प्रदान की गई पीएच. डी. उपाधि की सूचना ग्राह्य की गई।

बैठक के अंत में कुलसचिव डॉ. प्रशान्त पुराणिक द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया।


Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं