Skip to main content

मध्यप्रदेश प्रदेश एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष आगर विधायक विपिन वानखेड़े को राहुल गांधी ने सम्मानित किया

मध्यप्रदेश प्रदेश एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष आगर विधायक विपिन वानखेड़े को राहुल गांधी ने सम्मानित किया

विपिन वानखेडे़ को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राहुल गांधी ने उत्कृष्ट कार्य के लिये सम्मानित किया



भोपाल -:  भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक दिल्ली में आयोजित हुई जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पहुंचकर एनएसयूआई के सभी राष्ट्रीय पदाधिकारियों और प्रदेश अध्यक्षो को संबोधित किया ।

एनएसयूआई प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने बताया कि एनएसयूआई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और वरिष्ठ नेताओं की अगवानी एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन ने की। बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश एनएसयूआई के उत्कृष्ट कार्य के लिये मध्यप्रदेश एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष एवं आगर विधायक विपिन वानखेडे को सम्मानित किया ।

त्रिपाठी ने बताया कि मध्यप्रदेश एनएसयूआई के सभी पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं के लिए यहाँ गौरव का विषय है और प्रदेश के एक एक कार्यकर्ता के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि हैं की निरंतर मप्र NSUI को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सक्रियता के चलते सम्मनित किया जा रहा है।

विपिन वानखेडे ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी एनएसयूआई राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यहाँ सम्मान मुझे नहीं मध्यप्रदेश एनएसयूआई के सभी जुझारू पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को मिला है। हम हमेशा कांग्रेस पार्टी के लिये तत्पर रहकर कार्य करेगे और पूरी ताकत के साथ कांग्रेस का परचम पूरे देश मे लहराएंगे।

विपिन वानखेडे ने मप्र में होने वाले आगमी उपचुनाव और नगरीय निकाय चुनाव की रणनीति से राहुल गांधी जी को अवगत कराया और इन चुनाव में NSUI और युवा कांग्रेस के प्रत्याशी मैदान में उतारने पर जोर दिया , जिस पर राहुल जी ने उन्हें जिताऊ युवा प्रत्याशीयो का चयन करने का निर्देश दिया जिन्हें मजबूती के साथ भाजपा के मुकाबले लड़ाया जा सके। 

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...