आज का शिक्षक केवल शिक्षक ही नहीं रहा वरन फैसिलेटर, मोटिवेटर तथा मेंटर बन गया हैं - प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय , कुलपति
उज्जैन। पारंपरिक चाणक्य कौटिल्य की शिक्षा को अर्थशास्त्र एवं कॉमर्स से जोड़कर आधुनिक शिक्षा का एक नया आयाम प्रस्तुत किया जा सकता है। बढ़ती हुई ऑटोनॉमी की अकाउंटेबिलिटी अति आवश्यक है। उक्त उदगार विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने वाणिज्य अध्ययनशाला एवं इंस्टीट्यूट आफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में शलाका दीर्घा, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यशाला में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। आपने वर्तमान काल में शिक्षक की भूमिका फैसिलिटेटर, मोटीवेटर एवं मेंटर के रूप में बताई।
इस अवसर पर वेस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पूर्व चेयरमैन सीएस आशीष करोडिया, इंदौर चैप्टर के चेयरमेन सीएस विपुल गोयल एवं कुलसचिव डॉ प्रशांत पौराणिक ने भी उदगार व्यक्त किये। प्रारंभ में माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। अतिथियों का स्वागत डॉ. शैलेंद्र भारत, डॉ आशीष मेहता, डॉ नागेश पाराशर, डॉ रुचिका खंडेलवाल, डॉ अनुभा गुप्ता, डॉ नेहा माथुर, डॉ कायनात तंवर एवं डॉ परिमिता सिंह ने किया।
स्वागत भाषण एवं विषय प्रवर्तन विभागाध्यक्ष डॉ सत्येंद्र कुमार मिश्रा ने दिया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में लेखक एवं कॉरपोरेट लॉ के विशेषज्ञ डॉ डीके जैन एवं मध्य प्रदेश टास्क फोर्स के सदस्य सी एस वरुण गुप्ता द्वारा वर्क इथिक्स एवं प्रोफेशनलिज्म पर व्याख्यान दिया गया।
कार्यक्रम का संचालन समन्वयक डॉ रुचिका खंडेलवाल ने किया तथा आभार वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ शैलेंद्र भारत ने व्यक्त किया।
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