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भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में आदिवासियों का योगदान पर हुई सार्थक परिचर्चा ; प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला द्वारा वेब परिचर्चा आयोजित

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में आदिवासियों का योगदान पर हुई सार्थक परिचर्चा

प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला द्वारा वेब परिचर्चा आयोजित

उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला द्वारा अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य में एक वेब परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें माननीय कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय की अध्यक्षता में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में आदिवासियों का योगदान विषय पर सारगर्भित विचार मंथन संपन्न हुआ। सत्र का प्रारंभ विभागाध्यक्ष के स्वागत एवं कार्यक्रम की रूपरेखा के साथ हुआ । अतिथियों का परिचय डॉ रितेश लोट ने दिया। श्री मायापति मिश्र जो भोपाल से पधारे थे आपने भीमा नायक की माता सुश्री देवी जैसे अदृश्य सेनानियों से अवगत कराते हुए समग्रता से स्वतंत्रता सेनानियों पर अपने विचार रखे। डॉ अनिल पाटीदार, जो बड़वानी महाविद्यालय से पधारे थे, ने निमाड़ मालवा क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानी वनवासियों के बारे में अपने विचार रखे। इस परिचर्चा में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के इतिहास के सहायक आचार्य डॉ हर्षवर्धन सिंह तोमर मुख्य वक्ता ने आदिवासियों की प्राचीनतम उत्पत्ति एवं उनके प्रति औपनिवेशिक दृष्टिकोण बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया। अध्यक्षीय उद्बोधन में माननीय कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय जी ने समग्रता देते हुए यह स्पष्ट किया कि इतनी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक सूचनाएं, जिसके विषय में सबको नहीं पता, वह सभी छात्राओं तक पहुंचनी चाहिए। साथ ही राष्ट्रीय दृष्टिकोण से इतिहास की समीक्षा अति आवश्यक है। ऑनलाइन सत्र का संचालन डॉ प्रीति पांडे ने किया। आभार डॉ अंजना सिंह गौर ने व्यक्त किया।

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