उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में 19 अगस्त 2021 को सद्भावना दिवस की प्रतिज्ञा दिलाई गई। प्रशासनिक भवन स्थित शलाका दीर्घा सभागार में प्रभारी कुलपति प्रो. एच. पी. सिंह ने उपस्थित जनों को शपथ दिलवाई। इस अवसर पर कुलानुशासक प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा, सहायक कुलसचिव वीणा गुप्ता, रमेश सूर्यवंशी, राजू यादव, विपुल मईवाल सहित अनेक कर्मचारी उपस्थित थे। भारत सरकार एवं मध्य प्रदेश शासन के निर्देशों के अनुपालन में सद्भावना दिवस, दिनांक 20 अगस्त को मोहर्रम का अवकाश घोषित होने के कारण यह शपथ 19 अगस्त को दिलवाई गई।
विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययनशालाओं में विभागाध्यक्ष एवं निदेशकों द्वारा शिक्षकों, कर्मचारियों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों को सद्भावना दिवस की प्रतिज्ञा दिलवाई गई। इन संस्थानों में स्कूल आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, फार्मेसी, भूगर्भ शास्त्र, हिंदी, भौतिक शास्त्र, माइक्रोबायोलॉजी आदि सहित अनेक अध्ययनशालाएँ शामिल हैं।आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ | Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी - आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं। उनके उपन्यास और कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं। उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है। मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...
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