प्राणिकी एवं जैव-प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में पार्थेनियम (गाजरघास) प्रबंधन पर राष्ट्रीय वेबिनार
उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा गाजरघास प्रबंधन सप्ताह 16-22 अगस्त तक मनाया जा रहा है। इस अवसर पर प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला द्वारा राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमें गाजरघास नियंत्रण के लिए उपयोगी वैज्ञानिक उपायों पर चर्चा की गयी।
भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् द्वारा सोलहवाँ गाजरघास नियंत्रण सप्ताह दिनांक 16-22 अगस्त से तक मनाया जा रहा है। इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा गाजरघास नियंत्रण सप्ताह का शुभारम्भ दिनांक 16 अगस्त को किया गया था। आज दिनांक 18 अगस्त को प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला द्वारा गाजरघास नियंत्रण सप्ताह के अंतर्गत गाजरघास उन्मूलन में कीटों की उपयोगिता विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ सुशील कुमार अध्यक्ष भारतीय खतपतवार विज्ञानं सोसाइटी (ICAR) खतपतवार निर्देशानुसार जबलपुर थे। डॉ कुमार में अपने उद्बोधन में बताया कि गाजरघास अत्यंत तीव्रता से पनपने वाली खतपतवार है, जो कि फसलों के उत्पादन में लगभग 30-40 % कमी लाती है। मनुष्य में यह कई प्रकार की बीमारियां जैसे त्वचा रोग, अस्थमा, जैसी बीमारियां उत्पन्न करता है। इसके नियंत्रण के लिए काशिया तारा एवं गेंदे के पौधों का प्रयोग कर गाजरघास के उत्पादन को कम किया जा सकता है। उन्होंने गाजरघास नियंत्रण के लिए भौतिक रासायनिक विधियों की विधि का उल्लेख किया।
कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के रूप से डॉ पूजा राय सहायक प्रदायक प्राणीशास्त्र प्रेसेडेंसी विश्वविद्यालय, कोलकाता थीं जिन्होंने गाजरघास नियंत्रण के लिए मेक्सिकन व्हीट (जायगोग्रामा वोफोटा) का उपयोग करते हुए गाजरघास को नियंत्रित किया जा सकता है। कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय, कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने बताया कि गाजरघास खतपतवार के अंतर्गत सबसे विनाशकारी पौधा है, जिससे लेक्टोन नामक विषाक्त पदार्थ पाया जाता है। यह फसलों की अनुकरण क्षमता को कम करता है। यह मनुष्य में भी कई प्रकार की बीमारिया भी उत्पन्न करता है। गाजरघास को प्रभावी वैज्ञानिक विधियों द्वारा नियंत्रित किया जाना उचित होगा। राष्ट्रीय वेबिनार में अतिथियों का स्वागत प्रोफेसर लता भट्टाचार्य विभागाध्यक्ष प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला ने स्वागत भाषण द्वारा किया। आभार डॉ सलिल सिंह ने दिया, राष्ट्रीय वेबिनार के आयोजन के सचिव डॉ अरविन्द शुक्ल एवं डॉ शिवी भसीन थे। कार्यक्रम में डॉ संतोष कुमार ठाकुर, डॉ स्मिता सोलंकी एवं डॉ गरिमा शर्मा उपस्थित थे।
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